ओरछा में श्रृद्धालुओं तथा पर्यटकों की सुविधाओं हेतु प्रस्तावित परियोजनायें

ओरछा में श्रृद्धालुओं तथा पर्यटकों की सुविधाओं हेतु प्रस्तावित परियोजनायें

ओरछा का केन्द्र बिन्दु श्रीराम राजा मंदिर है। तात्कालीन बुन्देला शासकों द्वारा निर्मित स्मारकों हेतु प्रसिद्ध ओरछा एक हिन्दू तीर्थ स्थल है जहाँ बड़ी संख्या में श्रृद्धालुओं तथा पर्यटकों का आगमन होता है।
अत: श्रृद्धालुओं एवं पर्यटकों की भावनाओं तथा सुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुये ओरछा में श्रीरामराजा मंदिर में श्रीरामराजा लोक तथा अन्य स्मारको के संरक्षण एवं विकास कार्यों हेतु विभिन्न प्रोजेक्ट बनाकर स्वीकृतियाँ प्रदान की गई है जिनका विवरण निम्नानुसार है:-
1. श्रीरामराजा लोक का विकास:- ओरछा के केन्द्र बिन्दु श्री रामराजा मंदिर परिसर एवं आसपास के क्षेत्र को भव्य स्वरूप देते हुये श्रीराजाराम लोक का विकास प्रस्तावित है। इस हेतु कुल 81.00 करोड़ रु की स्वीकृति प्रदान की गई है। मुख्य प्रस्तावित कार्यो का विवरण इस प्रकार है:-
– श्रीरामराजा लोक का विकास:- श्री रामराजा लोक प्रवेश द्वार के साथ प्लाजा का विकास, प्रसादालय, कतार परिसर, श्रीजानकी मंदिर परिसर का विकास, फूड प्लाजा, आसपास की दुकानों की पुर्नस्थापना एवं जनसमूह प्रबंधन, दुकानों का सौन्दर्यीकरण आदि। 41.00 करोड़
– श्रीराम के बाल स्वरूप एवं राजा राम के दरबार के वर्णन सहित गलियारे एवं प्रागण का विकास।
6.25 करोड़
– श्रीराम राजा मंदिर एवं संलग्न पुरातत्व महत्व के भवनों का संरक्षण (जैसे:- श्रीराम राजा मंदिर, श्री पाताल हनुमान मंदिर, श्रीजानकी माता मंदिर आदि)
20.00 करोड़
– प्रकाश व्यवस्था (फसाड इल्यूमिनेशन) तथा विद्युतीकरण। 9.00 करोड़
-जन सुविधाओं का विकास। 4.75 करोड़
कुल राशि- 81.00 करोड़


वर्तमान में श्रीरामराजा मंदिर परिसर लगभग 2.86 एकड़ में स्थित है। ओरछा के केन्द्र बिन्दु श्रीरामराजा मंदिर के आसपास लगभग 12 एकड़ क्षेत्र में ‘श्रीरामराजा लोकÓ विकसित किया जायेगा। श्रीरामराजा लोक का प्रारंभ प्रवेश द्वार पर भव्य दरबार गलियारे से होगा तथा लोक का विकास 2 भागों में किया जायेगा। जिसमें बाल काण्ड प्रागंण श्री राम की वाल्य लीलाओं से प्रेरित होगा तथा उत्तर काण्ड को चित्र प्रस्तुतियों से प्रदर्शित किया जायेगा। श्री राम भगवान के राजा के रूप में कथाओं के माध्यम स प्रदर्शित किया जायेगा। साथ ही राजभोग पाकशाला का विकास तथा प्लाजा भी दर्शनार्थियों की सुविधा हेतु विकसित किया जावेगा।
श्रीरामराजा लोक में जनसमूह प्रबंधन तथा सार्वजनिक सुविधाओं के विकास के साथ स्थानीय जनों हेतु मंदिर के सामने के चौक को शॉपिंग प्लाजा की तरह विकसित करते हुये व्यवस्थित दुकानो का निर्माण किया जायेगा।
2. स्मारकों के सरक्षण एवं सुविधाओं के विकास हेतु पर्यटन परियोजना की स्वीकृति:- पर्यटन विभाग द्वारा ओरछा के महत्वपूर्ण स्मारको के संरक्षण तथा आस पास पर्यटको हेतु सुविधाओं के विकास हेतु रु 19.72 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई है। जिनका विवरण निम्नानुसार है:-
– तुलसी घाट का विकास-
बोट क्लब, चेंजिंग रूम, लॉकर, जनसुविधायें आदि। 1.05 करोड़
– स्मारकों के समीप आंतरिक मार्ग एवं पाथवे तथा किले के चारों और पैदलपथ, जनसुविधाये, साइनेज तथा घाट के समीप बोट क्लब आदि। 4.07 करोड़
– किला कम्प्लेक्स के समीप सौन्दर्यीकरण
1.50 करोड़
– स्मारकों के समीप फसाड, लाइटिंग आदि।
5.75 करोड़


– चतुर्भज मंदिर के समीप इन्टरप्रेटेशन सेन्टर (व्याख्या केन्द्र)। 1.00 करोड़
– कंचना घाट/छतरियों के समीप घाट उन्नयन, जनसुविधायें साईनेज फूड स्टाल तथा क्राफ्ट बाजार का विकास। 1.40 करोड़
– लक्ष्मी मंदिर के समीप जनसुविधायें, साइनेज तथा इन्टरप्रटेशन सेन्टर का विकास। 1.00 करोड़
– अन्य कार्य/व्यय। 3.95 करोड़
कुल राशि- 19.72 करोड़
स्वीकृत राशि से 70 एकड़ के क्षेत्रफल में फैल स्मारकों के संरक्षण, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, छतरियों, तुलसीघाट के आसपास स्मारको का पुर्ननिर्माण कर जनसुविधाये कर उपयोगी बनाना तथा आंतरिक पहुचमार्ग, लाइटिंग, इन्टरप्रेटेशन सेंटर के कार्य एवं कंचना घाट के उन्नयन तथा के आसपास पर्यटको की सुविधा तथा स्थानीय जनों के रोजगार के वृद्धि हेतु फूड मार्केट तथा क्राफ्ट बाजार के विकास के कार्य किया जाना प्रस्तावित है।
3. राज्य पुरातत्व बजट से स्मारकों के संरक्षण की स्वीकृति:- श्रीराम राजा मंदिर के अतिरिक्त बुन्देला शासकों द्वारा स्थापित स्मारक के सरंक्षण हेतु राज्य पुरातत्व बजट से लगभग 7.50 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई है। विवरण निम्नानुसार है:-
– बारूद खाना भवन का संरक्षण
1.41 करोड़
– हिमा हमीर कोठी का सरक्षण
1.00 करोड़
– जहाँगीर महल के उत्तरी भाग का संरक्षण एवं वेसमेंट का कार्य। 1.93 करोड़
– स्मारकों के समूह के समीप किले की दीवाल तथा 2 गेट का संरक्षण। 1.65 करोड़
– अन्य व्यय। 1.50 करोड़
कुल राशि- 7.50 करोड़


किले की 54 मीटर लम्बी दीवार के साथ गेट संख्या 6 एवं 7 को भी स्मारको के साथ संरक्षित किया जाना प्रस्तावित है। ओरछा नगर जो पूर्व में वुन्देला शासको की राज्यधानी थी, को उक्त ऐतिहासिक स्मारकों के अनुरक्षण / सरक्षण के माध्यम से पुर्नस्थापित करने का प्रयास किये जा रहे है।
4. राय प्रवीण महल, फूल बाग तथा वजीर बाग का अनुरक्षण तथा विकास:- राज्य पुरातत्व के माध्यम से महत्वपूर्ण स्मारको, धरोहरो जैसे हरदौल वाटिका (वजीर बाग), राय प्रवीण महल एवं फूल वाग के अनुरक्षण एवं विकास कार्यों हेतु लगभग 3.65 करोड़ की स्वीकृति दी जाकर कार्य करवाया जा रहै है।
5. राज्य पुरातत्व द्वारा स्मारकों के संरक्षण के कार्य:- ओरछा में राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा 48 स्मारको को संरक्षित घोषित किया गया है। उक्त स्मारकों के संरक्षण, अनुरक्षण एवं रख रखाव की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुये कुल 8.41 करोड़ के 19 कार्य स्वीकृत किये गये हैं, जिनमें से 10 कार्य पूर्ण किये जा चुके है। तथा शेष 9 कार्य प्रगति पर है।
6. पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार की प्रशाद योजनांतर्गत प्रेषित प्रस्ताव:- उक्त स्वीकृत योजनाओं में जो कार्य नही स्वीकृत हो पाये है तथा ओरछा के विकास हेतु आवश्यक है उनको चिन्हाकित किया गया है जिनमें मेगा सांस्कृतिक थीम पार्क, जनसुविधाओं का विकास, साईनेज तथा दिव्यांग जनों हेतु पहुंच सुविधाओं का विकास एवं पहुंच मार्ग है। उक्त कार्या हेतु पर्यटन मंत्रालय से लगभग 50 करोड़ की स्वीकृति हेतु अनुरोध किया जावेगा।
7. ओरछा को यूनेस्को विश्व धरोहरों में सम्मिलित करने हेतु भारत सरकार को डोजियर प्रेषित: – ओरछा के स्मारक विश्व प्रसिद्ध है इस विश्व पटल पर लाने हेतु वर्ष 2022 में एवं नामिनेशन डोजियर तैयार करवाकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भारत सरकार को प्रेषित किया जा चुका है। इसे यूनेस्को को प्रेषित कर ओरछा को यूनेस्को विश्व धरोहरो में सम्मिलित करने हेतु भारत सरकार से अनुरोध किया जावेगा।


8. हिस्टोरिक अर्वन लैण्डस्केप प्रोजेक्ट:- यूनेस्को द्वारा भारत में ओरछा एवं ग्वालियर का प्रथम बार चयन कर हिस्टोरिक अर्वन लैण्डस्केप के गाईड लाईन्स बनाये गये है जिसे हेतु ओरछा के मास्टर प्लान में सम्मिलित किये जाने की योजना है ताकि ओरछा का विकास इसकी ऐतिहासिक संस्कृति के अनुरूप हो।
इस प्रकार ओरछा हेतु कुल 5 प्रोजेक्ट तैयार कर लगभग 120 करोड़ की स्वीकृति श्रीरामराजा लोक तथा अन्य विकास कार्यों हेतु प्रदान की जा चुकी है एवं लगभग 50 करोड़ के कार्यों को प्रशाद योजनांर्गत चिन्हित किया जा चुका है। ओरछा को विश्वपटल पर लाने हेतु यूनेस्को विश्व धरोहरों में ओरछा को सम्मिलित करने के प्रयास भी किये जा रहे हैं।

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