(चुनावी घमासान) पूर्व विधायक आत्माराम पटेल 2008 में पूर्व उप मुख्यमंत्री के सामने ऐतिहासिक जीत को दोहराने को आतुर
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कसरावद विधानसभा में प्रत्याशी बनने के बाद कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह…
2013 विधानसभा में मात्र 5539 वोटो से हुई थी हार
फिर आमने-सामने होंगे पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव और पूर्व विधायक आत्माराम पटेल
(पत्रकार सलमान शाह, राजनीतिक विश्लेषक 7999659781)
खरगोन। निमाड़ में इन दोनों चुनावी घमासान मचा हुआ है। सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक चौपालो पर यह घमासान देखने को मिल रहा है। खरगोन जिले की 6 विधानसभा सीट इस बार पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रही है। इसमें से सबसे प्रमुख महेश्वर कसरावद और खरगोन विधानसभा की चर्चाएं अत्यधिक हो रही है, हालांकि जब से महेश्वर और कसरावद में भाजपा ने अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं, तब से यह चुनावी बिगुल, घमासान में बदल गया है। लोग कयास लगाने लगे हैं कौन सा उम्मीदवार जीतेगा या हारेगा।
कांग्रेस के गढ़ में क्या भाजपा लहराएगी अपना जीत का झंडा…?
आज हम बात करने वाले सबसे चर्चित विधानसभा कसरावद के बारे में। यह विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है लेकिन यह भी है कि समय-समय पर यहां पासा पलटा भी है। ज्ञात हो की इस विधानसभा पर स्वर्गीय सुभाष यादव और यादव परिवार का ही एक तरफा दबदबा रहा है लेकिन यह दबदबा उस समय कम हो गया, जब 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता आत्माराम पटेल ने पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सहकारिता नेता स्वर्गीय सुभाष यादव को पराजित कर दिया था। अब फिर से भाजपा ने पूर्व विधायक आत्माराम पटेल को पुनः कसरावद विधानसभा का प्रत्याशी घोषित कर 2008 विधानसभा की ऐतिहासिक जीत दोहराने के लिए आतुर कर दिया है। प्रत्याशी घोषित होने के बाद भाजपा के पूर्व विधायक आत्माराम पटेल का संपूर्ण विधानसभा में स्वागत और कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह यह जाहिर करता है कि आत्माराम पटेल भी 2008 विधानसभा की ऐतिहासिक जीत को दोहराने के लिए आतुर है। जिस तरह से विधानसभा में जगह-जगह श्री पटेल का स्वागत हो रहा है, उस से लग रहा है कि श्री पटेल के प्रत्याशी बनने पर चारो तरफ खुशी नजर आ रही है। लेकिन सवाल यह उठता है कि कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली कसरावद विधानसभा में क्या भाजपा अपना जीत का परचम लहराएगी…?
यादव बंधुओं की नाक का सवाल बनी मप्र की कसरावद विधानसभा सीट
उल्लेखनीय है की आदिवासी बहुल इस जिले की तीन सामान्य सीटों में से सबसे चर्चित सीट कसरावद है। इस बार इस सीट पर और घमासान होने के आसार हैं। यादव बंधुओं के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई है। उधर भाजपा भी इस सीट को वापस कांग्रेस से छुड़ाने के लिए ताकत झोंकने की तैयारी में है। दरअसल एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में उतार-चढ़ाव देख रहे अरुण यादव को जहां चुनाव के पहले प्रदेशाध्यक्ष पद की कुर्सी छोड़ना पड़ी थी। वहीं एक बार फिर केंद्रीय चुनाव समिति में सदस्य बनकर सुर्खियों में आ गए। वर्तमान में यहां अरुण के ही छोटे भाई सचिन यादव विधायक हैं। सचिन ने 2013 में यह सीट आत्माराम पटेल से छीनी थी। पूर्व विधायक आत्माराम पटेल ने स्व. सुभाष यादव के राजनीतिक सफर के अंतिम चुनाव 2008 में शिकस्त दी थी।
ये भी उल्लेखनीय है की सचिन यादव ने 2013 me अपने स्व. पिता सुभाष यादव की पराजय का बदला अपनी 2018 की जीत से लिया था। यहां सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति में श्रेय का घमासान मचा हुआ है। यही मुद्दा आगामी विधानसभा चुनाव में रहेगा।
टिकटों की दौड़ में भाजपा में दावेदार अधिक
इस बार भी कांगे्स में यादव परिवार की ही दखलअंदाजी रहेगी। सचिन यादव के अतिरिक्त कोई बड़ा नाम दावेदारी में नहीं देखा जा रहा है। बहुत बड़े उलटफेर के चलते सचिन यादव के विकल्प के तौर पर अरुण यादव ही हो सकते हैं। जब चर्चा पूर्व सांसदों को चुनाव लड़ाने की हो रही है। अन्यथा सचिन ही यहां कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। उधर भाजपा में पूर्व विधायक आत्माराम पटेल की दावेदारी को सबसे पहले माना जा रहा था। इस सीट को यदि जातिगत समीकरणों से देखें तो राजपूत, पाटीदार व यादव समाज का दबदबा सीट पर उम्मीदवार की जीत-हार को तय करता है। इसके अतिरिक्त अन्य समाज का भी यहां हस्तक्षेप है।
एक नजर कसरावद विधानसभा सीट पर
– 1977 में यह सीट अस्तित्व में आई
– 2008 में भाजपा के आत्माराम पटेल विजयी
– 2013 में सचिन यादव ने पटेल को किया पराजित
– 02 लाख 9 हजार 885 हैं मतदाता
पटेल का जगह-जगह हो रहा हो रहा स्वागत
भाजपा द्वारा कसरावद विधानसभा पर विधायक आत्माराम पटेल को जैसे ही प्रत्याशी घोषित किया उसके बाद लगातार भाजपा कार्यकर्ताओं और विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर्ताओं और आम जनता द्वारा श्री पटेल का स्वागत सत्कार किया जा रहा है श्री पटेल के प्रत्याशी बनने पर कार्यकर्ता और आम जनता में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है यह उत्साह और कार्यकर्ताओं में भारी कॉन्फिडेंस श्री पटेल को विजय श्री दिलाने में महत्वपूर्ण होगा।
मतदाता कांग्रेस के किसी भी झांसे में आने वाले नहीं हैं
गौरतलब है की भाजपा जिलाध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने खरगोन जिले के दो विधानसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा पर हर्ष जताया है। राठौर ने कहा कि गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के झूठे वादों के कारण जिले की सभी छह सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। इस बार मतदाता कांग्रेस के किसी भी झांसे में आने वाले नहीं हैं। भारतीय जनता पार्टी की केंद्र व राज्य की सरकार सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास का भाव लेकर कार्य कर रही है। पार्टी जनता का विश्वास फिर से प्राप्त करने के लिए पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी और जिले की सभी 6 सीटों पर जीत प्राप्त करेगी।
2008 में सुभाष यादव को हराया था, सचिन यादव को भी दी थी कड़ी टक्कर
ये भी गौरतलब है की वर्तमान में कसरावद सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। वर्तमान में कांग्रेस के सचिन यादव क्षेत्र के विधायक है। 2018 में भी हुए चुनाव में भाजपा के पटेल और कांग्रेस के सचिन यादव के बीच मुकाबला हुआ था। जिसमें पटेल ने यादव को कड़ी टक्कर दी थी। सचिन यादव ने 5,539 वोटों से जीते थे। इसके पहले 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पटेल यहां जीते थे। उस वक्त सचिन यादव के पिता सुभाष यादव इस सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन उनकी हार हुई थी। इसके बाद 2013 में सचिन यादव ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 39 सीटों पर अधिकृत पार्टी प्रत्याशियों की सूची जारी की हैं। खरगोन जिले के महेश्वर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक राजकुमार मेव और कसरावद विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक आत्माराम पटेल को पार्टी उम्मीदवार बनाया गया है। इस घोषणा पर भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने हर्ष जताया है।
भाजपा जिला मीडिया प्रभारी प्रकाश भावसार ने बताया कि गुरुवार को केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश की 39 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है। इसमें महेश्वर से दो बार विधायक रहे राजकुमार मेव को फिर से पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया गया है। इसी प्रकार पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव को हराने वाले पूर्व विधायक आत्माराम पटेल को फिर कसरावद क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है।
बहरहाल…पूर्व विधायक आत्माराम पटेल को पुनः भाजपा प्रत्याशी बनाने के बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई है क्योंकि पिछला विधानसभा चुनाव 2018 में भी भाजपा के प्रत्याशी आत्माराम पटेल थे और वह पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव के सामने मात्र 5539 वोटो से हारे थे जबकि शुरूआती वोटो की गिनती में सचिन यादव आत्माराम पटेल से पीछे चल रहे थे। इस विधानसभा चुनाव में आत्माराम पटेल के सामने कांग्रेस को जीतने के लिए पसीने छूट जाएंगे।