अपनी मांगे पूरी कराने के लिए अब किसान संगठनों द्वारा 16 मार्च को अस्थि कलश यात्रा निकाली जाएंगी,
अपनी मांगे पूरी कराने के लिए अब किसान संगठनों द्वारा 16 मार्च को अस्थि कलश यात्रा निकाली जाएंगी,
भारतीय किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 मार्च से देश के विभिन्न राज्यों में अस्थि कलश यात्रा निकालने का एलान किया है। इसके लिए शुक्रवार को किसान नेता अपने समर्थकों के साथ बठिंडा के गांव बल्लों जाएंगे। यहां से शुभकरण की अस्थियों के 21 कलश तैयार करके इन्हें पहले शंभू और खनौरी सीमा पर ले जाएंगे। इसके बाद 16 मार्च से हरियाणा से अस्थि कलश यात्रा की शुरुआत होगी। किसान संगठनों ने अस्थि कलश यात्रा निकालने का एलान किया है। आपको बता दें कि बीते दिनों में किसान शुभकरण सिंह की प्रदर्शन के दौरान पुलिस झड़प में मौत हो गई थी, उन्हीं की अस्थियों के कलश को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, केरल और राजस्थान ले जाया जाएगा।
यहां बताया जा रहा है कि यह यात्रा गांव-गांव जाएगी और इस दौरान लोगों केंद्र की किसान विरोधी नीतियों के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा किसानों की मांगों के समर्थन में आगे आने को प्रेरित किया जाएगा। किसान नेताओं ने आगे बताया कि
भाजपा और उनके सहयोगी दलों के नेताओं से पूछे जाएंगे सवाल, जवाब न मिलने पर होगा विरोध पंधेर ने एलान किया कि पंजाब समेत देश के सभी राज्यों में जहां भी भाजपा व इनके गठबंधन दलों के नेता जाएंगे, उनके सामने जत्थेबंदियों से जुड़े किसान अपनी मांगों की तख्तियां लेकर पहुंचेंगे। शांतिमय ढंग से उन नेताओं से सवाल पूछे जाएंगे कि किसानों की मांगें क्यों नहीं मानी जा रही हैं। बॉर्डरों पर किसानों के साथ बर्बरता क्यों की गई, शुभकरण को गोली क्यों मारी गई। अगर उनके सवालों के जवाब दिए जाएंगे, तो ठीक है। वरना नेताओं को काली झंडियां दिखाते हुए उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
बीते कुछ दिनों से अपनी मांगों पूरा करवाने के लिए सड़क पर उतरे किसान। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए कानून बनाने सहित कई मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए 200 से अधिक कृषि संघ 13 फरवरी को दिल्ली तक मार्च करेंगे। (एमएसपी) फसलों के लिए । अपको बता दे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी किसानों को दी जाने वाले एक गारंटी की तरह होती है, जिसमें तय किया जाता है कि बाजार में किसानों की फसल किस दाम पर बिकेगी।
दरअसल, फसल की बुआई के दौरान ही फसलों की कीमत तय कर दी जाती है और यह तय कीमत से कम में बाजारों में नहीं बिकती है। अन्य मांगों में गन्ने की बेहतर कीमतें , 60 साल से अधिक उम्र के प्रत्येक किसान को 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन, लखीमपुर खीरी घटना के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और “शहीदों” के स्मारक के लिए दिल्ली में जमीन देना शामिल है। कृषक की आर्थिक हालत दिन प्रति दिन कमजोर हो रही है और वो कर्ज के मकड़ जाल में फंस रहा क्यों की मौजूद दौर में कृषि में लागत बढ़ रही है आमदनी घट रही है जिस कारण से किसानो में आत्म हत्या की घटनाए बढ़ रही है।