नाम वापसी पर टिकी सियासी दलों की निगाहें भाजपा में सबसे ज्‍यादा नाराज , कांग्रेस में थोडा कम

नाम वापसी पर टिकी सियासी दलों की निगाहें भाजपा में सबसे ज्‍यादा नाराज , कांग्रेस में थोडा कम

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए एक नवंबर से दो दिन नाम वापसी का दौर शुरू हो गया है। 35 से ज्यादा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बागी प्रत्याशियों ने निर्दलीय या फिर दूसरे दल से नामांकन भरे हैं। इनमें 15 तो बड़े नेता भाजपा के 8, कांग्रेस के 7 हैं। आलम यह है कि इन बागियों के मैदान में होने से उम्‍मीदवारों की उम्‍मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है। सच कहा जाये तो उनकी धडकने थमी हुई हैं।सियासी दलों के अाकाओं को भरोसा है कि आखिरी समय तक नाराज लोगों को मना लिया जायेगा और बात बन जायेगी। क्‍या यह संभव है कि ऐसा हो जायेगा। जो भी हो सब कुछ समय पर ही छोड देना बेहतर होगा। पर एक बात है कि इन दिनों चुनावी घमासान जबरदस्‍त है।

नाम वापसी पर केवल कयास 
अभी तक जो हालात हैं उसे देखकर इस बात का अंदाजा लगाना कठिन है कि कितने नाम वापस होंगे। अभी जितने उम्‍मीदवार मैदान में हैं इनमें से कितने नाम वापस लेते हैं और कितने डटे रहते हैं, इस पर सभी की निगाहे हैं। बुधवार दोपहर तक किसी भी बड़े नेता ने नाम वापस नहीं लिया है। दोनों ही पार्टियों की कोशिश है कि इन दो दिनों में नाराज नेताओं को मनाकर फिर से उनको मूल धारा में शामिल कर लिया जाये लेकिन मजेदार बात है कि इतना अासान नहीं है जितना सोचा जा रहा है।

बागियों से मुकाबला हुआ त्रिकोणीय 
जानकारों की मानें तो बागियों के मैदान में डटे रहने से लगभग तीन दर्जन सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। लोगों का मानना है कि यदि बागी मान जायें तो अभी भी मुकाबला मुख्‍य दल कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगा।

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