मशरूम उत्पादन से रोजगार एवं पोषण प्रशिक्षण का आयोजन
मशरूम उत्पादन से रोजगार एवं पोषण प्रशिक्षण का आयोजन
कृषि विज्ञान केन्द्र, मुरैना द्वारा आर्या परियोजना के तहत “मशरुम उत्पादन से रोजगार एवं पोषण’ विषय पर दिनांक 19 से 23 फरवरी 2024 तक केन्द्र पर 5 दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया जिसमें मुरैना जिले के लगभग सभी विकासखण्डों से आए हुए 27 युवको एवं युवतियों ने सक्रिय रूप से भागीदारी कर प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा. प्रशान्त कुमार गुप्ता ने की।
प्रशिक्षण की संयोजक व केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. रीता मिश्रा ने बताया कि यह प्रशिक्षण युवाओं को स्वरोजगार के लिए जागरुक करने, उनकी पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने एवं उनके आर्थिक उन्नयन के उददेश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। प्रशिक्षण के दौरान डा. मिश्रा ने विभिन्न प्रकार के मशरूमों के उत्पादन की सैद्धान्तिक एवं प्रयोगात्मक जानकारी दी। मशरुम का परिरक्षण व मूल्यवर्धन करने के सम्बन्ध में प्रशिक्षणार्थियों को जानकारी दी।
मशरूम से मूल्य संवर्धित उत्पादों जैसे मशरूम का अचार, बिस्कुट, मुरब्बा, पापड़, बड़ी, चटनी इत्यादि को तैयार करने की विधि पर भी विस्तार से बताया गया । बाहय विशेषज्ञ के रूप में कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी के डा. जे.सी. गुप्ता, कृषि विज्ञान केन्द्र दतिया के डा. ए. के. सिंह एवं मशरूम उत्पादक श्री सौरभ मोदी मुरैना आदि के व्याख्यानों द्वारा भी प्रशिक्षणार्थियों ने मशरूम उत्पादन के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। प्रशिक्षणार्थियों को सफल मशरूम उत्पादक प्रक्षेत्र, पोरसा तथा केन्द्र की मशरूम उत्पादन इकाई का भ्रमण कराया गया।
इस प्रशिक्षण के दौरान मशरूम में लगने वाले रोग एवं कीट की विस्तार से जानकारी दी गई । प्रशिक्षण के उपरांत प्रतिभागियों को उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए प्रमाण पत्र तथा तैयार मशरूम उत्पादक थैलों का वितरण भी किया गए। समापन कार्यक्रम में डा. प्रशान्त गुप्ता तथा डा. रीता मिश्रा ने मशरूम उत्पादन द्वारा स्वरोजगार स्थापित करने के बारे में जानकारी देकर प्रशिक्षणार्थियों का मनोबल बढ़ाया। उन्होने मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में आजीविका उपार्जन करने तथा मशरूम उत्पादन के साथ साथ समन्वित कृषि करने के लिए प्रेरित किया। प्रशिक्षण को सफल बनाने में केन्द्र के समस्त वैज्ञानिकों का सक्रिय योगदान रहा।