कांग्रेस में टिकिट बदलने की मजबूरी, भाजपा नाराजों को साधने में जुटी बागियों के तेवर से दोनों दलों में खलबली , तीसरे दल को फायदा
कांग्रेस में टिकिट बदलने की मजबूरी, भाजपा नाराजों को साधने में जुटी बागियों के तेवर से दोनों दलों में खलबली , तीसरे दल को फायदा

भोपाल। 17 नवंबर को होने जा रहे मतदान के बीच अभी भी भाजपा और कांग्रेस में बागियों के तेवर सिर चढकर बोल रहे हैं। बागियों के तेवर से दोनों दलों में ख्लबली मची हुई है। कांग्रेस ने तो टिकिट बदलने की रणनीति अपना ली है लेकिन भाजपा रूठों को मनाने में जुटी है। गौर करने वाली बात यह है दोनों प्रमुख दलों की इस मौजूदा हालात का फायदा बाकी के दल लेने में जुटे हुए हैं। यही कारण है कि बागियों को सबसे अधिक मौका आम आदमी पार्टी तथा बसपा को मिल रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि बसपा और आप ने बागियों को मौका भी खूब दिया है। इसका सबसे अधिक प्रभावविंध्य और चंबल में देख्ने काे मिल रहा है।
दूसरी ओर हालात यह है कि कांग्रेस ने 20-20 फॉर्मेट में तीन सूचियां जारी करते हुए सभी 230 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा तो कर दी है। गजब की बात यह है कि कांग्रेस की यह चतुराई काम नहीं आयी और आख्रिरकार हुआ यह कि कांग्रेस को मजबूरन दो बार में 7 सीटों पर प्रत्याशी बदलने पड़े हैं। हद तो तब हो गई कि इस बदलाव के बाद भी कांग्रेस की बगावत की आग ठंडी नहीं पड़ी है। जिनका टिकट वापस लिया है, उनमें से तीन ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इससे कांग्रेस को सीधा नुकसान होने का खतरा रहेगा। बाकी 4 सीटों के पूर्व प्रत्याशी भले ही चुप हैं, लेकिन उनके समर्थकों की नाराजगी पार्टी को भारी पड़ सकती है।
बागरे पर अभी भी संशय बरकरार
प्रदेश में तैनात पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के इस्तीफे के फेर में अटकी आमला सीट पर भी कांग्रेस ने उम्मीदवार उतार दिया है। अब इस्तीफा मंजूर होने के बाद निशा ने साफ कह दिया है कि टिकट मिले या न मिले, वो चुनाव जरूर लड़ेंगी। निशा कमलनाथ से मिलने पहुंची थीं, लेकिन तय नहीं हो पाया है कि उन्हें टिकट मिलेगा या नहीं।हालांकि नाथ ने यह कहा कि वो पहले कांग्रेस की सदस्यता तो लें। देखना यह दिलचस्प होगा कि आखिरकार निशा का त्याग फल देगा या फिर सियासत की भेंट चढेगा।
ऐसे बदले गए उम्मीदवार
कांग्रेस ने पहली सूची में तय हुए दतिया, गोटेगांव और पिछोर के प्रत्याशियों को दूसरी सूची में बदल दिया। इसकी वजह से गोटेगांव में प्रचार शुरू कर चुके शेखर चौधरी बगावती तेवर अख्तियार कर चुके हैं। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। शेखर के चुनाव लड़ने का सीधा नुकसान कांग्रेस के एनपी प्रजापति को हो सकता।
कांग्रेस ने दूसरी बार में चार सीटों सुमावली, बड़नगर, जावरा और पिपरिया से प्रत्याशी बदले हैं। इस बदलाव से बड़नगर के पूर्व प्रत्याशी नाराज हो गए। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही है। अन्य पूर्व प्रत्याशियों ने नपा-तुला बयान दिया है कि वे पार्टी के निर्णय के साथ हैं, लेकिन अंदरूनी नाराजगी वहां कांग्रेस के समीकरण को प्रभावित कर सकती है।
भाजपा ने एक भी नहीं बदला
भाजपा की एक बात गौर करने लायक है कि अभी तक एक भी उम्मीदवार को बदला नहीं है। पार्टी हाईकमान का कहना है कि नाराजों को जाकर मनाने का काम करेंगे लेकिन पार्टी का उम्मीदवार फाइनल है। वही निशान है और वही पहचान है। ऐेसे में बदलने का सवाल ही नहीं है। पार्टी ने यह भी साफ कर दि᠋या है कि जो कार्यकर्ता नहीं मानेगा उस पर आने वाले दि᠋नों में कार्रवाई की जायेगी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि भाजपा का अनुशासन कार्यकर्ताओं पर काफी हद तक काम आयेगा।
भाजपा को लाभ मिलेगा या नहीं
कांग्रेस के बागी उम्मीदवार यदि᠋ निर्दलीय चुनाव लडते हैं तो इसका लाभ भाजपा को मिलेगा या नहीं यह सवाल आम आदमी के जेहन में बार बार आ रहा है। जानकारों की मानें तो यह तय है कि बागियों की सबसे ज्यादा संख्या कांग्रेस में ही है। ऐसे में बागी चुनाव मैदान में उतरेंगे और इसका सीधा नुकशान कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार को ही होगा। ऐसे में भाजपा को लाभ मिलना तय है लेकिन भाजपा क्या इसका पूरा लाभ ले पायेगी। यह सवाल दि᠋लचस्प होने वाला है।