बसपा प्रमुख माया की रैलियों से दिखेगा बदलाव, बसपा से कांग्रेस और भाजपा की बढी मुश्किलें

बसपा प्रमुख माया की रैलियों से दिखेगा बदलाव, बसपा से कांग्रेस और भाजपा की बढी मुश्किलें

भोपाल। राजनीति भी बडी पेंचीदी चीज होती है। यूपी के वार्डर से लगे जिलों में बसपा के आने से कांग्रेसऔर भाजपा केी मुश्किलें बढती नजर आ रही हैं। यही कारण है कि बसपा ने इन प्रमुख जिलों में मायावती की रैलियों का कार्यक्रम फिक्‍स किया है। बता दें कि इन रैलियों के जरिए बसपा की कोशिश होगी कि वह एमपी में साल 2018 के मुकाबले इस बार ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करे या अपना वोट शेयर बढ़ाए ताकि बीजेपी या कांग्रेस के पूर्ण बहुमत हासिल न करने की परिस्थिति में किंग मेकर की भूमिका में रहे। बसपा का यही प्लान राजस्थान में भी है।

साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बसपा के 6 विधायक जीते थे लेकिन बाद में सभी कांग्रेस के साथ चले गए थे। चुनाव परिणाम के बाद बसपा ने बिना शर्त कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था। लेकिन इस बार पार्टी की राज्य इकाई को स्पष्ट तौर पर यह निर्देश दिया गया है कि अगर किसी को भी समर्थन देने की परिस्थिति बनती है तो वह बिना मंत्रिमंडल में शामिल हुए इस पर फैसला नहीं करेगी।

यहां होनी है सभा और रैली 
मायावती अशोकनगर, निवाड़ी, सागर दमोह, छतरपुर, सतना, दतिया और भिंड, मुरैना में रैलियां करेंगी। मायावती 6, 7, 8, 10 और 14 नवंबर को 5 दिन में 9 सभाएं करेंगी।माया की रैलियों से समीकरण बदलेंगे । बतया जा रहा है कि मायावती की इस मौजूदा रणनीति का असर आने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। अगर बसपा मध्य प्रदेश और राजस्थान में अच्छा प्रदर्शन करती है तो यह मायावती की राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत नेता के रूप में उभरने में मदद कर सकता है।

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