सपा और बसपा के मैदान में डटने से भाजपा को हो रहा सियासी नुकशान यूपी से लगे जिलों में प्रभाव होने के कारण सीधे क्षति होती है
सपा और बसपा के मैदान में डटने से भाजपा को हो रहा सियासी नुकशान यूपी से लगे जिलों में प्रभाव होने के कारण सीधे क्षति होती है

भोपाल। प्रदेश में हो रहे चुनाव के मामले में भाजपा का मानना है कि सपा-बसपा प्रत्याशी जितनी मजबूती से लड़ेंगे, उतना ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होगा। लेकिन ऐसा पूरी तरह जमीन पर सच नहीं है। मामला पूरी तरह उलट दिख् रहा है। जमीनी सच्चाई यह है कि बसपा और सपा पूरी ताकत से लगे हैं ताकि उनकी राजनीतिक जमीन मतबूत हो सके। उनका मानना है कि यदि समर्थन देना पडें तो अपनी शर्तों पर दिया जाये इसके लिए उनकी सियासी जमीन मजबूत करना जरूरी है। यही सोचकर सपा और बसपा चंबल और ग्वालियर क्षेत्र में सपा और बसपा अपना गढ मजबूत करने में जुटा हुआ है।
यूपी से लगे जिलों में सीधा प्रभाव है
प्रदेश की राजनीतिक तासीर को देखा जाये तो उत्तर प्रदेश से सटे ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य में सपा-बसपा का 62 सीटों पर मजबूत प्रभाव माना जाता है । बीते सालों के परिणामों पर गौर करें तो सपा और बसपा ने विंध्य क्षेत्र और ग्वालियर में अपनी आमद पहले ही दे चुकी है। उनके प्रत्याशी पिछले चुनाव में इन सीटों पर 5 हजार से लेकर 69 हजार तक वोट पाने में सफल भी हुए थे। जानकारों का कहना है कि बसपा ने 46 तो सपा ने 7 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के समीकरण बिगाड़े थे। बसपा दो तो सपा एक सीट पर जीती भी थी।
सपा-बसपा प्रत्याशियों पर नजर डालें तो ये सीधे तौर पर उत्त्र पूर्व की 29 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस को कड़ी चुनौती मिल रही हैं। 12 सीटों पर इनकी लड़ाई से कांग्रेस मुश्किल में दिख रही है तो वहीं 8 सीटों पर ये भाजपा का नुकसान कर रहे हैं। कुल 9 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस-भाजपा दोनों को सपा-बसपा के प्रत्याशी नुकशान पहुंचा रहे हैं।चित्रकूट में बसपा की मजबूत मौजूदगी से कांग्रेस और भाजपा को सीधे तौर पर नुकशान होता दिख् रहा है।
पिछली बार के नतीजों की तरह भाजपा-कांग्रेस की सीटों में मामूली अंतर रहा तो ये 29 सीटें निर्णायक होंगी। कांग्रेस प्रवक्ता अवनीश बुंदेला बताते हैं कि हम तो शुरू से कहते रहे हैं कि बसपा-सपा और आम आदमी पार्टी (आप) मध्यप्रदेश में सीधे तौर पर भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं। यदि भाजपा को इन पार्टियों की मदद की जरूरत पड़ रही है, तो समझ जाइए इनकी हालत चुनाव में क्या होने जा रही है?
अखिलेश और मायावती की हो रहीं सभायें
यूपी से लगे जिलों खासकर चंबल और विंध्य और बंुदेलख्ंड के जिलों में पार्टी उम्मीदवार के समर्थन में अखिलेश और मायावती लगातार सभायें कर रहे हैं। अखिलेश ने तो कई सभायें भी की हैं लेकिन मायावती की आने वाले सप्ताह में लगातार दस सभायें होनी तय हैं। ये सभायें चंबल , बुदेलखंड और विध्य में होनीहैं। ऐसा माना जा रहा है कि मायावती के अाने से इन सीटों पर सीधे प्रभाव पडेंगा और परि णाम में बदलाव दिखेगा। रीवा, देवलालाब, सिंगरौली, सतना, चित्रकूट , भिंड , अटैर, मुरैना , दिमनी, पोहरी, सेवढा, मुंगावली ,श्यौपुर, विजयपुर आदि ऐसी सीटें हैं जहां सीधे बसपा का वर्चस्व साफ तौर देखने को मिलता ही है। खास बात यह है कि बीते चुनावों में इन सीटों पर अधिकांश में बसपा नंबर दो पर रही है।
48 सीटों पर बसपा के कारण पडा था प्रभाव
वर्ष 2018 के चुनाव में आंकडे बताते हैं कि बसपा के कारण भाजपा को 22 सीटों का नुकसान हुआ था। वहीं, कांग्रेस को 24 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। दो सीटों पर बसपा के प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल हुए थे। सबलगढ़, जौरा, ग्वालियर ग्रामीण, पौहरी, रामपुर बघेलान और देवतालाब में वो दूसरे नंबर पर थी।