काल भैरव जयंती पर लगाएं ये ​प्रिय भोग, शत्रुओं का होगा नाश, पुरी होगी मन की मुराद!

मार्गशीर्ष मास आरंभ हो चुका है. कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. 22 नवंबर, बुधवार को कालभैरव अष्टमी है. शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव के क्रूर रूप को भगवान काल भैरव के नाम से जाना जाता है. शिव महापुराण के अनुसार जब भगवान महेश, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा अपनी श्रेष्ठता और पराक्रम के बारे में चर्चा कर रहे थे, तो भगवान शिव भगवान ब्रह्मा द्वारा कहे गए झूठ के कारण क्रोधित हो गए. इसके परिणाम के रूप में, भगवान कालभैरव ने क्रोध में भगवान ब्रह्मा के पांचवे सिर को काट दिया. इसलिए इसी तिथि पर शिवजी के क्रोध से कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है.

श्री लिंगपुराण अध्याय 106 के अनुसार दारुक नामक अनुसार ने जब ब्रह्मा से यह वरदान प्राप्त किया कि मेरी मृत्यु सिर्फ किसी स्त्री से हो तो बाद में उसका वध करने के लिए माता पार्वती का एक रूप देवी काली प्रकट हुई. असुर को भस्म करने के बाद मां काली का क्रोध शांत ही नहीं हो रहा था तब उस क्रोध को शांत करने के लिए शिवजी बीच में आए परंतु शिवजी के 52 टुकड़े हो गए, वही 52 भैरव कहलाए. तब 52 भैरव ने मिलकर भगवती के क्रोध को शांत करने के लिए विभिन्न मुद्राओं में नृत्य किया तब भगवती का क्रोध शांत हो गया. इसके बाद भैरवजी को काशी का आधिपत्य दे दिया तथा भैरव और उनके भक्तों को काल के भय से मुक्त कर दिया तभी से वे भैरव, ‘कालभैरव’ भी कहलाए.

भैरव की सवारी कुत्ता : काले रंग के कुत्ते को काल भैरव की सवारी माना जाता है, हिंदू मान्यता के अनुसार काले कुत्ते को रोटी खिलाने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति आकस्मिक मृत्यु के भय से दूर रहता है.

काल भैरव का भोग : वैसे तो भगवान कालभैरव को किसी भी चीज का भोग लगा सकते हैं, लेकिन भगवान काल भैरव को कुछ चीजें अत्यंत प्रिय हैं जिन्हें भोग स्वरुप पाकर भैरव अत्यंत प्रसन्न होते हैं एवं व्यक्ति के समस्त संकट, मृत्युभय एवं आर्थिक संकट आदि सभी खत्म कर देते हैं,आइये जानते हैं कि भैरव अष्टमी पर उन्हें क्या भोग अर्पित करना चाहिये.

काल भैरव को चढ़ाएं ये चीजें:

    कालभैरव अष्टमी के दिन काल भैरव के सात्विक भोग में हलवा, खीर, गुलगुले (मीठे पुए) जलेबी, फल आदि अवश्य शामिल करें.
    कालभैरव अष्टमी के दिन काल भैरव को पान, सुपारी, लौंग, इलायची, मुखवास आदि चीजें भी चढ़ाईं जाती हैं.
    काल भैरव को मदिरा का भी भोग लगाया जाता है. इसलिए उनके भोग में मदिरा अवश्य शामिल करें.
    भगवान काल भैरव की पूजा के लिए धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं और काल भैरव की आरती गाएं. भगवान काल भैरव से अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करें.
    भगवान काल भैरव को भोग लगाने के बाद गरीबों को भोजन जरूर खिलाएं.

    काल भैरव जयंती का महत्व

    काल भैरव जयंती के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को धन-दौलत की प्राप्ति होती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. जीवन में रोगों से मुक्ति मिलती है और भय के साथ चिंता भी दूर होती है. मान्यता है कि प्रभु की उपासना करने से जातक की सभी मुरादें पूरी होती हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा घर में भी सुख-शांति बनी रहती है.

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