तीन मार्च को मुरैना से प्रवेश करेगी राहुल गांधी की न्याय यात्रा; प्रदेश की 7 लोकसभा सीटों से होते हुए गुजरेगी , तैयारियों में जुटी कांग्रेस
तीन मार्च को मुरैना से प्रवेश करेगी राहुल गांधी की न्याय यात्रा; प्रदेश की 7 लोकसभा सीटों से होते हुए गुजरेगी , तैयारियों में जुटी कांग्रेस
भोपाल ! आगामी दो माह बाद होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भारत जोडो न्याय यात्रापर हैं । वे मणिपुर से शुरू होकर मप्र होते हुए गुजरेगी। बता दें कि तीन मार्च को मुरैना से उनकी यात्रा प्रदेश में प्रवेश करेगी । इस मामले में प्रदेश कांग्रेस यात्रा की तैयारियों में जुट गई है। ग्वालियर-चंबल की 4 सीटों सहित मप्र की 7 लोकसभा सीटों पर पहुंचेंगे।
प्रदेश कांग्रेस में हुए नेतृत्व परिवर्तन और जीतू पटवारी को संगठन की कमान मिलने के बाद ये पहला बड़ा कार्यक्रम होने जा रहा है । प्रदेश संगठन को यात्रा में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने के लिए योजना बनाने में जुटी हुई है। कांग्रेस खासतौर पर राहुल गांधी की इस यात्रा को लोकसभा की तैयारियों से जोडकर देखा जा रहा है। वर्तमान में पार्टी के पास प्रदेश की कुल 29 में से सिर्फ 1 छिंदवाड़ा सीट ही है।
यह जिले होंगे प्रभावित – यात्रा में ग्वालियर-चंबल और मालवा सहित प्रदेश के कुल 9 जिले और 7 लाेकसभा सीटें कवर होंगी। राहुल 7 दिन प्रदेश में रहकर 698 किमी तय करेंगे। राहुल राजस्थान के धौलपुर से मुरैना और फिर ग्वालियर पहुंचेंगे। इसके बाद शिवपुरी, गुना, राजगढ़, आगर मालवा, उज्जैन, रतलाम से झाबुआ होते हुए राजस्थान के बांसवाड़ा निकल जाएंगे। यात्रा के दौरान आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भी प्रदेश नेतृत्व से चर्चा होने की सम्भावना है।
संगठन प्रभारी और पटवारी के साथ सिंघार करेंगे समीक्षा
भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर मप्र प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह, पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार 4 से 7 फरवरी तक ग्वालियर, उज्जैन और भोपाल में दौरे कर तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इन दौरों में चुनावी तैयारियों की भी समीक्षा की जाएगी। पीसीसी उपाध्यक्ष राजीव सिंह के मुताबिक दौरे की शुरुआत 4 फरवरी को ग्वालियर में लोकसभा स्तरीय समन्वय समिति की बैठक से होगी। 5 फरवरी को उज्जैन और 6 फरवरी को भोपाल में बैठकें होंगी।
अग्निवीर योजना केंद्र वापस ले : कांग्रेस
कांग्रेस के भूतपूर्व सैनिक प्रकोष्ठ ने अग्निवीर योजना को देश की सशस्त्र सेनाओं की अवधारणा के विरुद्ध बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मेजर जनरल (रिटायर्ड) श्याम श्रीवास्तव ने मीडिया से चर्चा में कहा कि योजना का सेना के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने अनुमोदन नहीं किया। उन्होंने पूछा की क्या कम प्रशिक्षित अग्निवीर सीमाओं की सुरक्षा कर पाएंगे? सेवा और सेवा के बाद इन्हे कम सैलरी, सुविधाएं मिलेंगी।