आध्यात्म का मार्ग अपनाकर ही परमात्मा को पाया जा सकता हैः अभिषेक चंद्रावत
आध्यात्म का मार्ग अपनाकर ही परमात्मा को पाया जा सकता हैः अभिषेक चंद्रावत
पर्यूषण महापर्व की दूसरे दिन अष्टानिका प्रवचन के माध्यम से
अमित पारख ने कहा कि जीवन में आराधना होनी चाहिये, विराधना नहीं
ग्वालियर 13 सितम्बर। महापर्व पर्यूषण के दूसरे दिन आज उपाश्रय भवन में श्रीसंघ के साधकों ने अष्टानिका प्रवचन का लाभ लिया। श्री वर्घमान जैन स्वाध्याय मंडल जावरा से श्री अमित पारख, अभिषेक चन्द्रावत एवं सौरभ काठेड़ ने फरमाया कि विश्व में भारत का विशेष आकर्षण रहा है, क्योंकि यहां पर समय-समय में अनेक ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया है, आध्यात्म का मार्ग स्वयं अपनाया है और दूसरों को भी उस मार्ग से जोड़कर, परमात्मा का मार्ग बताया है। परमात्मा-जिनके द्वारा आज हमको सबकुछ मिला है। कोई कहता है- परमात्मा के इतने मंदिर क्यों बनाए जाते ? आपसे पूछा जाए-आपके घर में सजने के लिए ड्रेसिंग रूम क्यों अलग? बच्चों को पढ़ने के लिए स्टडी रूम अलग क्यों? स्कूल में खेलने के लिए प्ले ग्राउण्ड अलग क्यों? क्योंकि हम जहां जो किया करते है उसका असर हमारे मन पर पड़ता है। मंदिर के परमाणुओं से हमारे भीतर निर्मलता बढ़ती है, मन शांत होता है। इस भौतिकता के युग में जिन वचन और जिन प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ आलंबन है, परमात्म पद तक पहुंचने के लिए। अभिषेक चंद्रावत ने परमात्मा को कल्पवृक्ष से भी उंचा कहा, जैसे कल्पवृक्ष हमारी हर भौतिक मनोकामनाओं को पूर्ण करता है, परन्तु परमात्मा तो हमारी हर भौतिक और अध्यात्मिक मनोकामनाओं को पूर्ण करते है। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया परमात्मा कैसे दयालु, कृपालु, अनंत शक्तिशाली, अनंतज्ञानी है। हमको सबको इस पयुर्षण पर्व में परमात्मा की भक्ति से जुड़ने की प्रेरणा दी। फिर जावरा से पधारे अभिषेक चंद्रावत ने अष्टानिका व्याख्यान के अंतर्गत आद्रकुमार की कथा का विवेचन किया। कैसे अद्रकुमार को प्रभु प्रतिमा को देखकर जातिस्मरण ज्ञान प्राप्त हुआ फिर उन्होंने संयम अंगीकार कर अपना और अपने 500 सुभरों को आत्म कल्याण के मार्ग में आगे बढ़ाया। जावरा से पधारे अमित पारख ने कहा हमारे जीवन में आराधना जितनी भी हो चलेगी, परन्तु हमारे से विराधना हो इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
युगप्रधान, द्वितीय दादा गुरूदेव मणिधारी श्री जिनचन्द्र सुरिश्वर जी महाराज की स्वर्गारोहण तिथि भादवा वदि 14 के निमित उपाश्रय भवन में भक्ति भरा रात्रि जागरण रात्रि 10.30 बजे से प्रारंभ हुआ। मेरे सर पे रख दो दादा अपने दोनों हाथ, छाई काली घटाऐं तो क्या उसकी छतरी के नीचे हुॅं मैं, दादा तेरे चरणों की धूली जो मिल जाये आदि भजनों के माध्यम से भक्तजनों ने अर्धरात्रि तक भक्ति संगीत की गंगा बहाई।
श्री संघ के अध्यक्ष सुनील दफ्तरी, ट्रस्टी मनोज पारख, कपूरचंद कोठारी, सुशील श्रीमाल, दीपक जैन, राहुल कोठारी एवं संजीव पारख ने बताया कि कल पर्व के तीसरे दिन 14 सितम्बर, गुरूवार को प्रातः 8.30 बजे कल्पसूत्र जी का चल समारोह चॉंदी की पालकी में मंदिर परिसर सराफा बाजार से प्रारंभ होकर डीडवाना ओली, नईसड़क, दानाओली, मोरबाजार, महाराज बाड़ा होते हुये सराफा मंदिर में पहुंचेगा। इसके उपरांत उपाश्रय भवन में, जहॉं पर कल्पसूत्र के वाचन के लिये श्री वर्घमान जैन स्वाध्याय मंडल जावरा से श्री अमित पारख, अभिषेक चन्द्रावत एवं सौरभ काठेड़ को वैराया जायेगा। मंदिर जी में प्रतिदिन रात्रि भक्ति का भी आयोजन हो रहा है, जिसमें श्रीसंघ के श्रावक व श्राविकाऐं अपनी समधुर वाणी से भक्ति संगीत गंगा बहा रहे हैं।