Chandrayaan-3 की टीम के सतना निवासी ओम पांडेय का गृहग्राम में हुआ भव्य स्वागत, तिरंगा रैली निकाली गई

सतना

दुनिया भर में देश का गौरव बढ़ाने वाले मिशन चंद्रयान-3 का हिस्सा रहे अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओम पांडेय का गांव लौटने पर शानदार स्वागत किया गया। ओम की उपलब्धि से हर्षित करसरा के उत्साही युवाओं और अन्य ग्रामीणों ने तिरंगे के साथ रैली निकाली। फूल मालाएं पहनाईं और ढोल- नगाड़ों की धुन पर नाचते- थिरकते अपने लाल को उसके घर तक ले गए। इस दौरान ओम ने इस मिशन की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए दावा किया कि आने वाले समय मे भारत बड़े स्पेस पावर के रूप में जाना जाएगा।

 

चंद्रयान मिशन-3 में चंद्रयान की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा रहे सतना के ग्राम करसरा निवासी अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओम पांडेय कजलियां के मौके पर अपने घर- परिवार और गांव के लोगों के साथ त्योहार की खुशियां मनाने अपने गृह ग्राम करसरा पहुंचे। गांव के लोगों ने उनका शानदार स्वागत किया। हर गली भारत माता के जयकारों से गूंजती रही। घर पहुंच कर ओम ने माता- पिता का पूजन किया और उनका आशीर्वाद लिया।

इस दौरान ओम ने भी अपनी खुशियां अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ये मिशन भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए बड़ा बल है। ये देख कर खुशी हो रही है कि चंद्रयान मिशन 3 की सफलता ने लोगों के अंदर विज्ञान और अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि अभी कई और मिशन पर काम चल रहा है। आने वाले समय में भारत दुनिया भर में बड़े स्पेस पावर के रूप में पहचाना जाएगा।

मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के दौरान अर्थबाउंड फेज में चंद्रमा की ऑर्बिट रेज करने की जिम्मेदारी संभालने वाले ओम पांडेय की इच्छा है कि उनके गांव के स्कूल का काया कल्प किया जाए और यहां मिनी पीएचसी का इंतजाम कर दिया जाए। अपने गृह ग्राम करसरा के स्कूल से ही प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर इसरो तक का सफर तय करने वाले साइंटिस्ट ओम पांडेय ने कहा कि अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो समस्याएं बाधक नहीं बन पातीं। बचपन से ही वे भी कुछ करना चाहते थे। करसरा और इटौरा के स्कूलों में पढ़ाई करने के बाद उन्होंने सतना के व्यंकट क्रमांक 1 स्कूल में प्रवेश लिया। पढ़ाई के लिए वे किराये पर कमरा लेकर अकेले ही रहते थे, खुद ही बनाते खाते थे। कई बार बिजली गुल हो जाने पर डिब्बी और लालटेन जला कर पढ़ाई करते थे। इंदौर से इंजीनियरिंग करने के बाद आईआईटी कानपुर से एमटेक किया और अब पांच साल से इसरो में कार्यरत हैं।

जिस मिशन पर दुनिया भर की निगाहें लगी हुई थीं उस मिशन में शामिल रहे अपने बेटे को मिशन की सफलता के बाद अपने सामने देख कर साइंटिस्ट ओम पांडेय के परिजन गदगद और गौरवांवित नजर आए। सेवा निवृत्त शिक्षक पिता प्राणनाथ पांडेय, मां कुसुम पांडेय, पत्नी शिखा और बड़े भाई सूर्य प्रकाश की खुशी का ठिकाना नहीं है। मिशन के दौरान ओम फरवरी से मॉरीशस स्थित इसरो सेंटर में थे, इसलिए उस वक्त आपस में फोन पर भी बात हो पाना कठिन था।

 

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