सराय काले खां चौक का नाम बदला गया अब कहलाएगा बिरसा मुंडा चौक

नई दिल्ली । महान स्वतंत्रता सेनानी और जननायक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार ने आज शुक्रवार को दिल्ली के सराय कालेखां आईएसबीटी चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक करने का ऐलान कर दिया। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चौक का नाम बदलने का ऐलान किया। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर देशभर में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने साल 2021 में मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था। इस अवसर पर देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चौक का नाम बदले जाने को लेकर कहा, “मैं आज घोषणा कर रहा हूं कि यहां आईएसबीटी बस स्टैंड के बाहर बड़े चौक को भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जाना जाएगा। इस प्रतिमा और उस चौक का नाम देखकर न केवल दिल्ली के नागरिक बल्कि अंतरराष्ट्रीय बस स्टैंड पर आने वाले लोग भी उनके जीवन से प्रेरित होंगे। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज राजधानी दिल्ली में सराय काले खां के पास बांसेरा पार्क में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जनजातीय गौरव दिवस मनाने के लिए बिहार के जमुई पहुंच रहे हैं। पीएम मोदी राजधानी पटना से करीब 200 किलोमीटर दूर जमुई जिले के एक सुदूर गांव में इस अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेंगे। पीएम मोदी का एक हफ्ते से भी कम समय में बिहार का यह दूसरा दौरा है। इससे पहले पिछले बुधवार को उन्होंने दरभंगा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान  की आधारशिला रखी थी। जमुई जिले की सीमा झारखंड राज्य से सटी हुई है, जहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। पीएम मोदी जमुई में आज बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट का अनावरण करेंगे। साथ ही जनजातीय समुदायों के उत्थान तथा क्षेत्र के ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 6,640 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी करेंगे। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने पीएम मोदी के दौरे पर अपना उत्साह दिखाया। पासवान 2 बार जमुई से लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। बिरसा मुंडा महान स्वतंत्रता सेनानी थे और आदिवासी समुदाय के लोग उन्हें प्रेमपूर्वक भगवान का दर्जा देते हैं। उनकी जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जाती है। बिरसा मुंडा का जन्म 1875 में बिहार के आदिवासी क्षेत्र उलिहातू में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और धर्मांतरण जैसी अप्रिय गतिविधियों को लेकर आदिवासियों को आगाह करते हुए एकजुट किया था।

Back to top button