कम लागत में बासमती की दो नई किस्मों से मिलेगी अच्छी पैदावार
कम लागत में बासमती की दो नई किस्मों से मिलेगी अच्छी पैदावार
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों को कम लागत में धान की अच्छी पैदावार देने के लिए बासमती की दो नई किस्में जारी कीं हैं इन उन्नत किस्म को विकसित कर सात राज्यों के लिए जारी किया. इनकी खेती में लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक कम लागत आएगी क्योंकि इनकी सीधी बुआई होगी और प्रति एकड़ उत्पादन भी अच्छा होगा।
किसानों को कम लागत में धान की अच्छी पैदावार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली ने दो नई किस्में जारी कीं हैं पूसा बासमती-1985 एवं पूसा बासमती-1979 दोनों किस्में खर-पतवार के अत्यधिक खतरे वाले खेतों के लिए बेहद अनुकूल हैं।
दोनों सामान्य बासमती धान की तुलना में अधिक उन्नत है इनकी खेती में लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक कम लागत आएगी, क्योंकि इनकी सीधी बुआई होगी। प्रति एकड़ उत्पादन भी अच्छा होगा. साथ ही पानी की भी बचत होगी. खर-पतवार को विनष्ट करने के लिए दवाओं के छिड़काव से होने वाले नुकसान का भी कोई असर नहीं होगा।
इसी तरह पूसा बासमती-1979 को पूसा बासमती-1121 को अपग्रेड कर तैयार किया गया है, जो 130 दिनों में तैयार हो जाती है इन किस्मों की अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ आठ किलोग्राम बीज पर्याप्त होगा। धान की खेती में ज्यादा मेहनत और लागत बिचड़ा लगाने में आती है खर्चा कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने सीधी बुवाई को ज्यादा व्यावहारिक माना है इससे लगभग आधी मजदूरी की सीथी बचत होती है और फसल लगाने की प्रक्रिया भी आसान होती है।
धान की प्रति किलो उपज के लिए कम से कम तीन हजार लीटर पानी की जरूरत पड़ती है सीधी बुवाई से पैदावार में 30 से 35 प्रतिशत पानी कम लगता है सीधी बुआई की दो विधियां हैं पहली विधि को तरबतर कहते हैं इसमें गेहूं की कटाई के बाद जुताई करके पानी लगाकर तीन दिनों तक छोड़ दिया जाता है फिर लेब¨लग करके बुआई करते हैं।