उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए सर्दियों में रोजाना खाएं सिंघाड़ा, बवासीर में भी करता है फायदा

नई दिल्ली । तनाव एक मानसिक विकार है, जिसका कोई ठोस इलाज फिलहाल उपलब्ध नहीं है। व्यक्ति खुद के प्रयासों से ही इस समस्या से उबर सकता है। इस तनाव से कई अन्य बीमारियां जन्म लेती हैं। उच्च रक्तचाप की बीमारी तनाव की वजह से होती है। उच्च रक्तचाप से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हेल्थ विशेषज्ञों के अनुसार अत्यधिक तनाव की वजह से उच्च रक्तचाप की बीमारी होती है।
इससे बचने के लिए तनाव कम करना जरूरी है। उच्च रक्तचाप को कंट्रोल करने के लिए पोटेशियम रिच फूड्स का सेवन अधिक किया जाना चाहिए। इसके अलावा, सर्दियों में उच्च रक्तचाप कंट्रोल करने के लिए सिंघाड़ा का सेवन किया जा सकता है। इसके सेवन से उच्च रक्तचाप नियंत्रण में रहता है। इसके अलावा, पानी फल खाने के कई अन्य फायदे भी हैं। सिंघाड़ा पानी में पैदा होने वाला एक फल है। यह त्रिभुजाकार होता है। इसमें बैल की सींग की तरह कांटे होते हैं। अंग्रेजी में सिंघाड़ा को वाटर चेस्टनट कहते हैं।
देसी भाषा में सिंघाड़ा को पानी फल कहा जाता है। वहीं, छिलके को अच्छी तरह से सुखाकर आटा तैयार किया जाता है। इस आटे का व्रत में यूज किया जाता है। वहीं, सेहत के लिए भी सिंघाड़ा किसी वरदान से कम नहीं है। इसके सेवन से मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में बहुत जल्द आराम मिलता है। कई शोधों में दावा किया गया है कि सिंघाड़ा खाने से उच्च रक्तचाप कंट्रोल में रहता है। इसमें पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
पोटेशियम युक्त चीजों के सेवन से उच्च रक्तचाप नियंत्रण में रहता है। साथ ही दिल की बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। इसके अलावा, सिंघाड़ा खाने से बवासीर में भी आराम मिलता है। बवासीर के मरीजों को सिंघाड़ा का अवश्य सेवन करना चाहिए। सिंघाड़े में फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो वजन घटाने में फायदेमंद होता है। मोटापे से पीड़ित मरीज भी सिंघाड़े का सेवन कर सकते हैं।

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