जनजातीय युवाओं को मजबूत बनाने चलेंगी तीन नई योजनाएं
जनजातीय युवाओं को मजबूत बनाने चलेंगी तीन नई योजनाएं
• भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना में 22.10 करोड़ रूपये वितरित
• टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना में 2.66 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता
भोपाल। जनजातियों के युवाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने को लेकर सरकार संकल्पित है। यही कारण है कि जनजातीय कार्य विभाग के अधीन मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एवं विकास निगम द्वारा तीन नई वित्तीय सहायता योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें से भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना और टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना के माध्यम से जनजातीय वर्ग के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़कर उनके समग्र कल्याण के प्रयास किये जा रहे हैं।
अब तक मिले आवेदनों पर दी सहायता –
मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एवं विकास निगम को ‘भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना’ में 31 जनवरी 2024 तक कुल 5 हजार 523 आवेदन मिले। इनमें से बैंकों द्वारा 716 आवेदन मंजूर कर 561 पात्र हितग्राहियों को 22 करोड़ 10 लाख 64 हजार 895 रूपये वित्तीय सहायता वितरित की जा चुकी है।
केवल 155 प्रकरण वित्त सहायता वितरण की अंतिम प्रक्रिया में हैं। इस योजना में जनजातीय युवाओं को विनिर्माण गतिविधियों के लिए एक लाख से 50 लाख रूपये तथा सेवा व व्यवसाय गतिविधियों के लिए एक लाख से 25 लाख रूपये तक की वित्तीय सहायता बैंकों के माध्यम से दी जाती है। बैंक ऋण पर अधिकतम सात वर्षों के लिए पाँच प्रतिशत ब्याज अनुदान एवं बैंक गारंटी का भुगतान राज्य शासन द्वारा किया जाता है।
‘टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना’ में निगम को 31 जनवरी 2024 तक कुल 6 हजार 11 आवेदन मिले। बैंकों द्वारा 699 आवेदन मंजूर कर 490 पात्र हितग्राहियों को दो करोड़ 66 लाख 5 हजार 165 रूपये वितरित किये जा चुके हैं। सिर्फ 209 प्रकरण अंतिम निराकरण के लिए लंबित हैं।
इस योजना में जनजातीय युवाओं को 10 हजार से एक लाख रूपए तक की स्व-रोज़गार परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता बैंकों के माध्यम से दी जाती है। बैंक ऋण पर अधिकतम पाँच वर्षों के लिए सात प्रतिशत ब्याज अनुदान एवं बैंक गारंटी राज्य शासन द्वारा दी जाती है।