राज्य पशु की कम होती संख्या चिंताजनक ऊंटों के संरक्षण के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए – प्रमुख शासन सचिव, पशुपालन

राज्य पशु की कम होती संख्या चिंताजनक ऊंटों के संरक्षण के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए - प्रमुख शासन सचिव, पशुपालन

जयपुर, 4 सितम्बर। पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री विकास एस. भाले की अध्यक्षता में सोमवार को यहां पशुपालन विभाग के सभागार में राज्य पशु ऊंट की घटती संख्या एवं ऊंट पालकों की आर्थिक स्थिति के संबंध में बैठक का आयोजन हुआ।
बैठक में प्रमुख शासन सचिव श्री भाले ने राज्य पशु ऊंट की घटती हुई संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी आर्थिक स्थिति पशुपालन पर निर्भर है। ऊंट हमारा राज्य पशु है और इनकी कम होती संख्या हमारे लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि ऊंटों के संरक्षण के लिए कार्ययोजना तैयार की जायें। उन्होंने बैठक में सभी प्रतिभागी विचार विमर्श के बाद कार्यवाही करने लायक कुछ निष्कर्ष बिंदु निकालें जिस पर राज्य सरकार निर्णय ले सके। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन में राजस्थान देश में पहले स्थान पर है अब हमें इसके प्रसंस्करण पर ध्यान देना है।
इस अवसर पर पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि राजस्थान की अर्थव्यवस्था में ऊँटों का विशेष स्थान रहा है लेकिन राजस्थान में वर्ष 1983 में ऊँटों की संख्या 7.56 लाख की तुलना में वर्ष 2019 में इनकी संख्या घटकर 2.13 लाख रह गयी। राजस्थान ही नहीं देश भर में ऊँटों की संख्या में 37 प्रतिशत की कमी आई है, जो बेहद चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि ऊँटों की घटती संख्या और ऊँटपालकों की गिरती आर्थिक स्थिति के समाधान पर विचार विमर्ष एवं मंथन के लिए विभाग द्वारा एक दिवसीय बैठक का आयोजन किया जा रहा है।
बैठक में पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक श्री प्रकाशचन्द्र भाटी ने राजस्थान के परिदृश्य पर अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा कि राज्य के अधिकतर जिलों में वर्ष 2019 में ऊँटों की संख्या में कमी आई है। उन्होंने ऊँटों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी संभागियों को अवगत कराया। श्री भाटी ने कहा कि नई पीढ़ी को ऊँटों के संरक्षण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। कैमल सफारी के जरिए टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे ऊँटपालन को व्यवसाय के रूप में अपनाने में मदद मिल सकती है। अतिरिक्त निदेशक डॉ नवीन मिश्रा ने उष्ट्र कल्याण योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
सहजीवन संस्थान गुजरात की श्रीमती कविता ने भी अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा कि ऊंटनी के दुग्ध व्यवसाय को लेकर राज्य नीति का निर्माण होना चाहिए। बैठक को राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ साहू, राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.एन एम.सिंह ने भी संबोधित किया।
बैठक में ऊँटपालन से संबंधित हितधारक, स्वयं सेवी संस्थाएं, गैर संरकारी संस्थान, राजस्थान कॉपरेटिव डेयरी फेडरेशन, उरमूल डेयरी, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान संस्थान, बीकानेर, लोक हित पशुपालक संस्थान एवं गुजरात राज्य के प्रतिनिधियों सहित विभागीय अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में ऊंटों की घटती हुई संख्या, ऊंटों के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु नवीन योजनाओं, ऊंटों के लिए संरक्षित चरागाह का चिन्हीकरण, ऊंटपालकों के आजीविका हेतु कल्याणकारी योजनाएं, राजस्थान में ऊंटनी के दूध के संग्रहण एवं विपणन की संभावना आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।

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