तकनीक का प्रयोग सुविधा की बजाय साजिश के लिए हो रहा
तकनीक का प्रयोग सुविधा की बजाय साजिश के लिए हो रहा
• साईबर हमलों को लेकर पीएचक्यू में हुई एक दिवसीय कार्यशाला
भोपाल। आधुनिक सुविधा अब मुसीबत भी बनती जा रही है।यह गंभीर चिंता का विषय है। इस बात को लेकर पुलिस मुख्यालय, भोपाल में महिला सुरक्षा शाखा द्वारा ”सायबर इनेबल्ड ह्युमन ट्रेफिकिंग” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रज्जवला संस्था के सहयोग से आयोजित इस सेमिनार में तकनीक का प्रयोग कर मानव दुर्व्यापार के तरीकों और उन पर नियंत्रण पाने के लिए मंथन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि एडीजी सायबर सेल योगेश देशमुख ने बताया कि तकनीक का इस्तेमाल लोगों के जीवन को सुविधाजनक बना रहा है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह उनके लिए खतरा भी है। मानव दुव्यर्वहार में लिप्त लोग तकनीक के प्रयोग को अधिक सुरक्षित मानते हैं। वह तकनीक का उपयोग करने में शातिर हैं और आसानी से नागरिकों को अपने जाल में फंसा लेते हैं। मध्यप्रदेश पुलिस लगातार ऐसे अपराधियों का डेटा बेस के आधार पर रणनीति तैयार कर मानव दुव्यर्वहार रोक रही है। हमारे पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को दक्ष बनाया जा रहा है, ताकि वे समन्वय स्थापित कर सायबर अपराधियों को पकड़कर पीड़ितों को न्याय दिला सके, हालांकि मानव दुर्व्यापार रोकने के लिए नागरिकों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।
सुरक्षा शाखा के मार्गदर्शन में हुई कार्यशाला –
महिला सुरक्षा शाखा की एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में आयोजित इस सेमिनार में महिला सुरक्षा शाखा की आईजी हिमानी खन्ना, एआईजी श्रीमती किरणलता केरकट्टा, एआईजी प्रतिभा त्रिपाठी, एआईजी पिंकी जीवनानी, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त, उप पुलिस अधीक्षक, महिला थाना प्रभारी, जीआरपी थाना प्रभारी एवं सायबर पुलिस अधिकारी उपस्थित थे। संचालन महिला सुरक्षा शाखा के एआईजी वीरेंद्र मिश्रा ने किया।
महिलाएं , बच्चों के साथ पुरुष वर्ग भी हो रहे शिकार :
प्रज्जवला की प्रोजेक्ट एडवाइजर डॉ. सुनीथा कृष्णन ने कहा कि तकनीक का उपयोग कर मानव दुर्व्यापार में लिप्त आरोपी, पीड़ित को गुमराह कर अपने झांसे में फंसाते हैं या लालच देकर उन्हें शोषण की ओर धकेला जाता है। यह केवल महिलाओं और बच्चों के साथ नहीं बल्कि पुरुष वर्ग के साथ भी हो रहा है। पहले यह माना जाता था कि केवल गरीब, अशिक्षित, विशेष समुदाय या जाति के लोगों के साथ इस तरह की घटनाएं होती हैं, जबकि हर आयु, लिंग, वर्ग और समुदाय के लोगों के साथ मानव दुर्व्यापार संबंधी अपराध बढ़ रहे हैं। सबसे बढ़ी चिंता का विषय यह है कि हमारे बच्चे भी इसका शिकार बन रहे हैं। उन्हें ऑनलाइन गेमिंग एप और वेबसाइट्स के माध्यम से सेक्सटॉर्शन की ओर धकेला जा रहा है।
आनलाईन गेमिंग से बचना होगा : आजकल आनलाइन गेमिंग का खेल भी जारी है जो कि बच्चों को आसानी से शिकार बनाया जा रहा है। इसका सबसे आसान बचाव का तरीका यह है िक इससे बचकर ही रहा जाये। किसी भी प्रकार का गेम डाउनलोड ना किया जाये।