पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार

कोर्ट ने कहा - गुमराह करने वाले विज्ञापन बंद करें

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (21 नवंबर) को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई है। मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन पब्लिश करने को लेकर ये फटकार लगाई गई है। भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की थी। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा- पतंजलि आयुर्वेद को सभी झूठे और भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है।

इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैज़ुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं। बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।

डॉक्टर्स का एक गैंग कर रहा दुष्प्रचार- रामदेव

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद योग गुरु रामदेव ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पतंजलि का पक्ष रखा। उन्होंने एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में कहा कि एक खबर को वायरल कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई कि झूठा प्रोपेगेंडा करोगे तो हजारों करोड़ का जुर्माना लगेगा। रामदेव ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं लेकिन हम झूठा प्रोपेगेंडा, प्रचार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स के एक गिरोह, एक गैंग एक ऐसी संस्था बना रखी है, वो प्रोपेगेंडा करते रहते हैं योग के खिलाफ, आयुर्वेद के खिलाफ, अपने सनातन मूल्यों के खिलाफ। वो झूठा प्रोपेगेंडा ये है कि सिंथेटिक वर्ल्ड में लीवर, किडनी से जुड़ी बहुत सारी समस्याओं का कोई सॉल्यूशन नहीं है।

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