मोदी, मंगुभाई, शिवराज का स्वागत किया सिंधिया ने , नरेन्द्र तोमर का नहीं किया प्रदीप मांढरे

ग्वालियर हलचल
ग्वालियर, 22 अक्टूबर। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी प्रचार के लिए शिवपुरी आए थे, तब उन्होंने उस समय के कांगेे्रस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोलते हुए कहा था कि अब राजा ्र-महाराजाओं के दिन लद गए , अब लोकतंत्र है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मोदी जी ने ग्वालियर की आमसभा में महल पर हमला बोला था। आज वही मोदी जी अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुजरात का दामाद बता रहे हैं, सिंधिया राज परिवार के काशी में किए गए विकास कार्यों का गुनगान कर रहे हैं। और तो और, प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस में आखिरी समय तक रहे माधवराव सिंधिया की उनके रेलमंत्री के रूप में किए गए कार्यों की भी तारीफ की ।
वजह साफ है। ज्योतिरादित्य 2020 से भाजपा में हैं। उनकी दम पर कमलनाथ सरकार गिरी और भाजपा की सरकार बनी । अगले महीने १७ नवम्बर को विधानसभा चुनाव हैं। ग्वालियर-चम्बल संभाग सहित प्रदेश के कुछ स्थानों पर भाजपा की स्थिति डांवाडोल है। सिंधिया को आगे रखकर मोदी नेतृत्व जनता को यह संदेश दे रहा है ंकि ज्योतिरादित्य में संभावनाएं हैं। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि सिंधिया स्कूल के १२५वे स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शनिवार शाम ग्वालियर फोर्ट पर आए मोदी जी ने सिंधिया परिवार की तारीफ और अपनी सरकार के कामकाज तो खूब गिनाए , लेकिन मंच पर उनके पास बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर का सिर्फ नाम लिया। यानी शिवराज सरकार के कामकाज की कोई तारीफ नहीं की , जबकि चुनावी समय है। मोदी जी ने अपने भाषण की शुरूआत में नरेन्द्र सिंह तोमर का नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद लिया। जबकि सीनियरिटी के क्रम में तोमर का नाम पहले लिया जाना चाहिए था।
लगता है मोदी नेतृत्व मध्यप्रदेश में सिंधिया के रूप में युवा चेहरे को प्रोत्साहन देकर अपनी प्राथमिकता का संकेत दे रहा है।
कल के सिंधिया स्कूल स्थापना दिवस समारोह में बहुत कुछ ऐसा अप्रत्याशित हुआ जो मीडिया में स्थान नहीं पा सका। मसलन , मंच पर सिंधिया ने प्रधानमंत्री मोदी , राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का विधिवत स्वागत किया, लेकिन केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर का नहीं किया। स्कूल के प्रिसींपल अजय सिंह ने श्री तोमर का विधिवत स्वागत किया।
पूरे आयोजन में सिंधिया ने अपनी ओर से तोमर से कोई बात नहीं की। जबकि दो स्थान पर बैठक व्यवस्था में तोमर सिंधिया के बगल में ही बैठे थे। हां, तोमर ने एक बार जरुर सिंधिया से कुछ कहा। शायद वह स्कूली छात्रों की प्रस्तुति पर कुछ पूछ रहे थे।
प्रधानमंत्री ने सिंधिया जी , राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ स्कूल परिसर का मुआयना किया। उस दौरान भी केन्द्रीय मंत्री तोमर उनके साथ नहीं थे । प्रधानमंत्री का स्वागत करने के बाद तोमर और केन्द्रीय मंत्री जीतेन्द्र सिंह सीधे कार्यक्रम स्थल आ गए।
इस शानदार, भव्य व गरिमामय आयोजन की जितनी तारीफ की जाए कम है, लेकिन कुछ कमियां भी दिखाई दीं। मसलन, प्रख्यात गायक नितिन मुकेश को दर्शक दीर्घा में अगली पंक्ति में स्थान देना था, वह सामान्य दीर्घा में बैठे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने भाषण में उनका जिक्र किया । उनकी तरफ हाथ भी हिलाया । नितिन मुकेश ने भी खड़े होकर मोदी का अभिवादन किया।
(श्री सिंधिया भाजपा में आने के बाद से अभी तक देश की शीर्ष हस्तियों को अपने यहां बुला चुके हैं। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु व केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह जयविलास पैेलेस में आ चुके हैं। अमित शाह के पैलेस में आने के कार्यक्रम में तो नरेन्द्र तोमर शामिल हुए थे, लेकिन जब राष्ट्रपति महल में आईं , नरेन्द्र तोमर ने उस दौरान दूरी बना ली थी । यानी भाजपा की राजनीति में २०२० से तोमर व सिंधिया के बीच अप्रत्यक्ष रूप से फासला रहा है। इसकी वजह है दोनो की ग्वालियर में वर्चस्व की महत्वाकांक्षा। )
सिंधिया स्कूल का स्थापना दिवस कार्यक्रम स्कूल के खुले स्टेडियम में था। तीन बजे से आमंत्रित अतिथि आना शुरू हो गए । ४ बजे तक ५ हजार लोग कुर्सियों पर बैठे थे और सूर्य की तेज धूप उन पर पड़ रही थी। कार्यक्रम शाम ५.३० पर शुरू हुआ। रात्रि पौन आठ बजे कार्यक्रम की समाप्ति तक पेयजल का इंतजाम नहीं था।
अतिथियों को क्यूआर कोर्ड से प्रवेश दिया जा रहा था। क्यूआर कोड वेरिफिकेशन की उचित व्यवस्था न होने से सेैकड़ों खास मेहमान स्त्री-पुरुष एक-डेढ़ घण्टा परेशान हुए। बाद में पता चला कि अंदर आ रहे आमंत्रित अतिथियों का क्यूआर कोड देखा ही नहीं गया। इसे सुरक्षा में ढ़ील ही कहा जाएगा।
पत्रकारों सहित कुछ मेहमानों की चार पहिया गाड़ियां नीचे उरवाई गेट पर रोक ली गइंर् । कहा गया -आप लोग ऊपर पैदल जाओ ।
वजह ? पूछने पर जवाब दिया गया कि आप की गाड़ी में पार्किंग स्टीकर नहीं लगा है।
स्कूल मैनेजमेंट ने जब क्यूआर कोड पास जारी किए तो उन्हें गाड़ी के स्टीकर भी देना थे। जब ये मेहमान कार्यक्रम की समाप्ति के बाद जैसे-तैसे उरवाई गेट सड़क पर आये तो उनकी गाड़ियां गायब थीं। परेशान वाहन मालिकों ने इधर-उधर पूछताछ की । पता चला कि पुलिस की क्रेन ने विनयनगर बिजली घर के पास गाड़ियां रखवा दी थीं।
प्रधानमंत्री के आगमन से पूरे फोर्ट पर नई सड़कें तो बना दी गइंर् , लेकिन साफ-सफाई का ध्यान नही रखा गया । सास-बहु मंदिर के सामने जहां सिंधिया स्कूल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के आवास हंै, के समीप कचरे का ढेर पड़ा था।
प्रधानमंत्री के ग्वालियर आगमन पर शहर के सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा करते हैं तो पाते हैं कि दोपहर ढाई-तीन बजे के आसपास शिंदे की छावनी क्षेत्र में एक ऑटो पर काले कपड़े दिखाई दिए थे। इसी प्रकार रामदास घाटी से आगे एक बाइक पर तीन लोग बैठे थे। चलाने वाला हेलमेट नही पहना था। जबकि शहर भर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस वाले गश्त कर रहे थे।

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