सतना- दल बदलू ही बिगाडेंगे अपनों का खेल, 27 अक्टूबर को सतना जिले में आ रहे पीएम मोदी
सतना- दल बदलू ही बिगाडेंगे अपनों का खेल, 27 अक्टूबर को सतना जिले में आ रहे पीएम मोदी

भोपाल। मप्र के विधान सभा का चुनाव 17 नवंबर को होने जा रहा है किंतु दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों में भयंकर विरोध चल रहा है। कहीं कपडे फट रहे हैं तो कही मुख्य कार्यालय पर पथराव भी हो रहा है।सतना भी उन विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं में से एक जिला है।मजेदार बात यह है कि इस जिले में अपने दल को छोडकर आम आदमी पार्टी और बसपा जाने वाले नेता ज्यादा हैं।यही कारणहै कि कांग्रेस और भाजपा दोनो ही दल सतना में पशोपेश में पड गये हैं।
विरोध चौपाल से लेकर भोपाल तक
टिकिट वितरण से उपजी नाराजगी की आवाज चौपाल से लेकर भोपाल तक पहुंच गई है। खास बात यह है कि इस बार का चुनाव जमीन पर नहीं बल्कि राजधानी भोपाल में विरोध करते हुए ज्यादालडाजा रहा है। आलम यह है कि जमकर तोडफोड हो रही है, कार्यकर्ता भूखे रहकर जमकर नारेबाजी कर रहे हैं। दलों के लिए ये नारेबाजी कितनी भारी पडेगी यह आने वाला वक्त बतायेगा किंतु अभी माहौल काफी गरम दिख् रहा है।
इन संभागों में सबसे बडा विरोध
प्रदेश भर से मिल रही जानकारी के अनुसार विंध्य प्रदेश, चंबल और मालवा के साथ साथ महाकौशल में विरोध के स्वर तेज हो गये हैं। यदि मोटे तौर देखा जाये तो भाजपा में सीधे तौर पर 22 सीटों पर विरोधजारी है तो कांग्रेस में कुल 47 सीटों पर विरोध के तीखे स्वर सुनाई दे रहे हैं। भाजपा हाईकमान ने साफ कर दिया है कि जो कार्यकर्ता अनुशासन में नहीं रहेगा उस पर कार्यवाही की जायेगी। इसी प्रकार कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलकर यह तय किया है कि जितने भी बागी हैं उनको दिग्विजय सिंह अपने साथ लेकर कमलनाथ से मिलवायेंगे। ऐसे में देखना यह दिलचस्प होगा कि इस रणनीति का कितना लाभ इन दलों को मिल पाता है।
सतना की सभी सीटों पर विरोध के स्वर तेज
सतना जिले में कुल सात विधान सभा सीटें हैं जिनमें प्रमुख रूप से सतना, रैगांव, चित्रकूट, अमरपाटन, रामपुर बघेलान, मैहर तथा नागौद प्रमुख रूप से हैं। जिले की कोई ऐसी सीट नहीं जिस पर विरोध न हो रहा हो। सतना में तीन प्रमुख चेहरे भाजपा से सांसद गणेश सिंह , कांग्रेस से सिदार्थ कुशवाहा हैं। चित्रकूट से भाजपा ने सुरेंद्र सिंह गहरवार को उम्मीदवार बनाया तो डोली छिटककर बसपा में चले गये।
युवा हैं संपर्क भी अच्छा है इसलिए चुनौती बने हैं। बसपा का इस सीट पर अच्छा खासा प्रभाव है लेकिन देखना यह है कि उसका कितना लाभ मिल पाता है। स्थानीय स्तर पर कई ऐसे मामले हैं जिनका समाधान वहां के जनमानस को चाहिए। लोग यही कहते हैं कि जीतने के बाद कोई नहीं आता। वर्तमान विधायक नीलांशु चतुर्वेदी हैं दो बार के विधायक होने के कारण क्षेत्र में पकड बनी हुई है। यहां स्व प्रेमसिंह के रिश्तेदार संजय सिंह ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। ऐसे में संभवहै कि इसका नुकशान कांग्रेसको ही होगा।
इसी प्रकार रैगांव में प्रतिमा बागरी को भाजपा ने मौका दिया है । पहले भी मौका मिला लेकिन सफलता नहीं मिली। मौजूदा विधायक कल्पना वर्मा हैं जातीय आधार पर मामला इनके पक्ष में । बीएसपी से अहिरवार भी भाग्य आजमा रहे हैं।
नागौद सीट से वर्तमान विधायक यादवेंद्र सिंह को कांग्रेस ने टिकिट नहीं दिया तो वे बसपा से मैदान में उतर आये हैं।कांग्रेस ने अब यहां पर रष्मि सिंह को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने नागेंद्र सिंह को फिर से मौका दिया है।
अमरपाटन सीट से भाजपा सरकार के मंत्री रामखेलावन पटेल को मौका मिला है तो कांग्रेस ने राजेंद्र सिंह को फिर से मौका दिया है। इस सीट पर बसपा और आप ने अपने पत्ते नहीं खेाले हैं।
रामपुर बघेलान सीट से भाजपा ने मौजूदा विधायक विक्रम सिंह (विक्की) को उतारा है। वहीं कांग्रेस ने पयासी को मौका दिया है। इस सीट पर एक बार बसपा ने अपनी एंट्री भी ले चुकी है।
मैहर सीट इस बार चर्चाओं में रही क्योंकि विधायक नारायण त्रिपाठी शुरू से विरोध के स्वर मुखर किये हुए थे ।आखिरकार त्रिपाठी ने भाजपा को छोड दिया । अब किस दल से चुनाव लडेंगे यह साफ नहीं है। हालांकि भाजपा ने श्रीकांत चतुर्वेदी को मौका दिया है। कांग्रेस ने र्ध्मेश घई को मैदान में उतारा है। बसपा और सपा ने अभी कोई पत्ता नहीं खोला है।
चित्रकूट में इस बार चार चेहरे अपनी पकड के दावे करने के साथ साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं । ऐसे में इस बार यहां का परणिाम चौंकाने वाला हो सकता है।