परंपरागत खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक खेती अपनाकर रामनरेश कुशवाह बने आत्मनिर्भर

परंपरागत खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक खेती अपनाकर रामनरेश कुशवाह बने आत्मनिर्भर

पोरसा विकासखण्ड के ग्राम धर्मगढ़ निवासी रामनरेश कुशवाह परंपरागत खेती को छोड़कर उद्यानिकी विभाग के माध्यम से ऑर्गेनिक खेती कर उद्यानिकी फसलों से दोगुना लाभ लेकर आत्मनिर्भर बन गये है। ग्राम धर्मगढ़ निवासी रामनरेश कुशवाह बताते है, कि पुरखों की तरह परंपरागत खेती अभी तक करते आ रहे थे। एक दिन उद्यानिकी विभाग में पहुंचकर खेती के बारे में सलाह ली, वहां पर उपस्थित वैज्ञानिकों ने बताया कि परंपरागत खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक खेती अपनाने के लिये किसान भाई रूख अपनाये, जिसमें दोगुना मुनाफा मिलने के अधिकतर चांस रहते है।

श्री कुशवाह ने बताया कि मैंने उनकी बात मान ली और तत्काल नर्सरी पोरसा उद्यानिकी विभाग से सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना के तहत टमाटर का शंकर बीज क्रय किया। जिसको मैंने अपने एक बीघा खेत में बोया था। टमाटर की बंफर पैदावार हुई, चूंकि मंडी में रेट कम था, फिर भी मैंने 50 हजार रूपये का टमाटर बेच दिया।

जबकि परंपरागत खेती करने से मात्र मुझे पूरे वर्ष में 25 हजार रूपये ही प्राप्त हो पाते थे। मैं आसपास के किसान भाईयों को यही आग्रह करता हूं, कि परंपरागत खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक खेती की ओर जाये और दोगुना मुनाफा पाये। अब तो मुझे उद्यानिकी खेती के करने के लिये और उत्साह मिलने लगा है, मैंने भिंडी, तोरई, बैंगन, मिर्ची आदि की उद्यानिकी फसलें भी लेना प्रारंभ कर दिया है।

रामनरेश कुशवाह कहते है, कि ऑर्गेनिक खेती अपनाने से कीट, पतंग कम आते है और ऑर्गेनिक खेती से जमीन की उर्वरक शक्ति की क्षमता बढ़ती रहती है। उन्होंने बताया कि दोगुनी आय प्राप्त होने से मेरे परिवार की माली हालत में सुधार हुआ है। मैं बहुत खुश हूं कि उद्यानिकी विभाग ने ऐसी सलाह देकर मेरे तो परिवार में खुशहाली ला दी है।

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