23 नवंबर को 148 दिनी योगनिद्रा से जागेंगे श्रीहरि पांच माह के चातुर्मास का होगा समापन मांगलिक कार्यों का होगा श्रीगणेश, इस वर्ष विवाह के 14 मुहूर्त शेष

23 नवंबर को 148 दिनी योगनिद्रा से जागेंगे श्रीहरि पांच माह के चातुर्मास का होगा समापन मांगलिक कार्यों का होगा श्रीगणेश, इस वर्ष विवाह के 14 मुहूर्त शेष

भोपाल। पांच माह के चातुर्मास का समापन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देव प्रबोधिनी एकादशी पर 23 नवंबर को होगा। शहर के मठ मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त में घंटे-घड़ियाल बजाकर 148 दिनी योगनिद्रा से श्रीहरि विष्णु को जगाया जाएगा। इसके साथ ही एक बार फिर वे सृष्टि का काज संभालेंगे और मांगलिक आयोजन का श्रीगणेश भी होगा। इस वर्ष नवंबर और दिसंबर में विवाह के 14 मुहूर्त शेष हैं। अबूझ मुहूर्त में से एक एकादशी पर शालिग्राम और तुलसी विवाह के आयोजन भी होंगे।

ज्योतिर्विद कान्हा जोशी के मुताबिक चातुर्मास की शुरुआत 29 जून को देवशयनी एकादशी के साथ हुई थी। इस वर्ष तीन वर्ष में एक बार आने वाले अधिकमास आने से चातुर्मास में एक माह की वृद्धि होकर पांच माह का हो गया। इसके चलते वर्ष के प्रमुख त्योहार भी 15 से 25 दिन आगे बढ़ गए थे। इस बार 19 साल बाद अधिक मास का संयोग शिव के प्रिय श्रावण मास के साथ होने से 58 दिनी श्रावण माह था। देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन रवि, सर्वार्थ सिद्धि और सिद्धि योग बन रहा है। विवाह के लिए मुहूर्त 23 नवंबर से 15 दिसंबर तक रहेंगे। इसके बाद खरमास लगने से एक माह के लिए वैवाहिक आयोजन के लिए विराम लगेगा। 2024 में वैवाहिक मुहूर्त की शुरुआत मकर संक्रांति के बाद 16 जनवरी से होगी।

अबूझ मुहूर्त में से एक देव प्रबोधिनी एकादशी
ज्योतिर्विद् आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार वर्ष के साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त में से एक देव प्रबोधिनी एकादशी को माना जाता है। विवाह के लिए इस दिन पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती है। एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 9.12 बजे से 23 नवंबर को रात 11.03 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार एकादशी 23 नवंबर को मानी जाएगी। इस दिन व्रत, उपवास और श्रीहरि का पूजन किया जाएगा। इस दिन एकादशी व्रत करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है।

शादियों के लिए मुहूर्त
– नवंबर : 23, 24, 27, 28 और 29 (पांच दिन)।
– दिसंबर : 3, 4, 5, 6, 7, 9, 13, 14, 15 (नौ दिन)।

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