पीएचई घोटाले के आरोपी अधिकारी जेल गए, ठेकेदार दो दिन की पुलिस रिमांड पर
नगर निगम के पीएचई विभाग में करीब 40 करोड़ के घोटाले के आरोपी दो अधिकारियों व एक बाबू को न्यायालय में सोमवार को जेल भेज दिया। वहीं विभाग के पैसे को बाजार में खपाने वाले ठेकेदार राहुल वर्मा को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। पीएचई में पिछले कई बरसों से मनमाने ढंग से विभागीय करोड़ो रुपये की राशि को अनैतिक रूप से प्रायवेट लोगों के खाते में जमा करवाकर फर्जीबाड़ा किया गया था। इस मामले में क्राइम ब्रांच पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध किया था। चार महीने से मामले की जांच चल रही थी। अचानक पुलिस ने बीती रात में आधी रात के बाद सेवानिवृत कार्यपालन यंत्री आरएन करैया, कार्यपालन यंत्री संजय सोलंकी व बाबू कचौरिया को गिरफ्तार किया। इनके साथ ठेकेदार राहुल वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया था। इन सभी को पुलिस ने सोमवार की शाम को न्यायालय में पेश किया। यहां से राहुल वर्मा को पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। वहीं तीन अन्य को जेल भेजा गया।
मामले की जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि फर्जीबाड़े में दो बड़े अधिकारी और भी शामिल हैं। जिनकी तलाश की जा रही है। इनमें एक कार्यपालन यंत्री लंबे समय से नगर निगम में पदस्थ है। वहीं दूसरे अधिकारी पीएचई में अधीक्षण यंत्री के पद पर कार्यरत है। इन दोनों के बारे में यह पता लगा है कि अपने साथियों की गिरफ्तारी की जानकारी मिलते ही मोबाइल बंद करके गायब हो गये हैं। यह भी पता लगा है कि दोनों अधिकारी कोर्ट से अग्रिम जमानत लेने की फिराक में हैं और मंगलवार को जमानत का आवेदन लेकर कोर्ट में हाजिर हो सकते हैं।
नगर निगम के पीएचई खण्ड क्रमांक एक में पिछले 10 वर्षों में करीब 40 करोड़ रुपये का फर्जी बाड़ा सामने आया था। जिसमें क्लर्क हीरालाल ने अपने 70 से अधिक परिचितों के खातों में यह रकम भेजी गई है। यह राशि निजि लोगों के खातों में भेजी गई है। इन लोगों से क्लर्क हीरा लाल ने यह राशि बेला की बावड़ी पर स्थित अपने होटल में लगवाई है। पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि करीब तीन करोड़ की लागत से यह होटल बनाया गया है। साथ ही गिरवाई क्षेत्र में 15 बीघा जमीन भी हीरालाल ने खरीदी है। इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्य आरोपी हीरालाल को पुलिस की क्राइम ब्रांच अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। वहीं बड़े अधिकारियों जिनमें रिटायर अधिकारी व क्लर्क भी शामिल हैं उनको जेल भेज दिया है।
जानकारी यह भी मिली है कि वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ निलंबन व विभागीय कार्यवाही का प्रस्ताव भी भोपाल पहुंच चुका है। इन अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही मंगलवार को हो सकती है। इस मामले की जांच में यहभी सामने आया था कि कार्यपालन यंत्री के कार्यकाल में जागेश श्रीवास्तव, संजय सोलंकी, आरएन करैया, विनोद छारी ने अपने अधिकारी का दुरुपयोग करते हुये क्लर्क हीरालाल के माध्यम से करोड़ो रुपये प्रायवेट लोगों के खातों में ट्रांसफर करवाये। इस राशि से हीरालाल ने कोरड़ो रुपयों ी सम्पत्ति बनाई है। चार महीने पहले इस मामले की एफआईआर क्राइम ब्रांच में दर्ज हुई है । जांच के आधार पर पुलिस ने सभी को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी हीरालाल अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर है। यह आश्चर्य का विषय है। जबकि उसकी सम्पत्ति शहर में ही है। हीरालाल के बारे में पता लगा है कि यह दो दशक पहले पीएचई में मस्टर कर्मचारी के रूप में गड्डे खोदने पर भर्ती हुआ था। बाद में बाबू बनकर बैठ गया और बड़े अधिकारियों का भरोसा जीतकर करीब 40 करोड़ रुपये का फर्जीबाड़ा किया।