मध्यप्रदेश : संघर्ष से भरा रहा है नये मुखिया का जीवन
मध्यप्रदेश : संघर्ष से भरा रहा है नये मुखिया का जीवन
सीएम की ताजपोसी होते ही बोले विकास और सबका साथ चाहिए-
भोपाल। मध्यप्रदेश के नये मुख्यमंत्री के रूप में मोहन यादव की ताजपोसी हो चुकी है और इसी के साथ मोदी का मिशन 2024 का भी डंका बज चुका है। वे नये चेहरे को सामने लाकर एक ओर जहां सबको चौंका दिये हैं वहीं दूसरी ओर उन्होंने यह भी संदेश दे दिया है कि शिवराज की वरिष्ठता का लाभ अब देश को चाहिए तथा दूसरी ओर एक सामान्य परिवार के युवा को प्रदेश की सेवा करने का अवसर देकर यह भी संदेश दिया है कि भाजपा ही ऐसा कर सकती है। उज्जैन दक्षिण से चुने जाने वाले अनुसाशित कार्यकर्ता के रूप में अपनी राजनैतिक जीवन की शुरूआत करने वाले मोहन यादव के परिवार में राजनीति की छाया कहीं दूर तक नहीं रही है। पिता एक साधारण से मिल में मजदूरी करने वाले मजदूर हैं। मोहन यादव ने अपने जीवन की शुरूआत बहुत ही साधारण रूप में किये थे। सोचा भी नहीं होगा कि भगवान महाकाल की कृपा से उनके लिए 11 दिसम्बर का दिन ऐतिहासिक हो जायेगा। सच ही कहा गया है कि किया हुआ कर्म कभी चूंकता नहीं है बल्कि फल जरूर देता है। यही कारण है कि मोहन यादव को उनका परिश्रम और उनके पिता द्वारा की गई पुण्याई के प्रतिफल के रूप में उन्हें मध्यप्रदेश के मुखिया की जिम्मेदारी मिली है।
देश के ह्रदय प्रदेश के रूप में पहचाने जाने वाले मध्यप्रदेश की आम जनता की उम्मीदें युवाओं के सपने बहनों का विश्वास और बुजुर्गों की आस अब नये मुखिया मोहन यादव में टिक गयी हैं। बता दें कि नये मुखिया मोहन यादव बीजेपी के दिग्गज नेता और उच्च शिक्षा मंत्री का दायित्व निभा रहे थे। माना जाता है कि वे आरएसएस के करीबी और भरोसेमंद लोगों में सुमार हैं।
ऐसा है मोहन यादव का जीवन-
25 मार्च 1965 को उज्जैन में पनमचंद यादव के घर जन्में मोहन यादव ने पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में कदम रख लिया था। उन्होने एम.ए और पी.एच.डी. तक पढ़ाई की है। इसके साथ उन्हे चुनावी मैनेजमेंट का माहिर माने जाते हैं। उज्जैन दक्षिण के लोग बताते हैं कि कोई भी धार्मिक आयोजन हो मोहन यादव उसमें भागीदारी जरूर करते हैं और यथा संभव सहायता भी करते हैं। बोलने में आक्रामक और शक्त राष्ट्रवादी नेता की छवि है। ऐसे में देखता यह है कि मालवा में पार्टी की जडे तो मजबूत हैं लेकिन उन जडों को चोट पहुंचाने वाले संगठनों को ध्वस्त करने में वे कितने सफल हो पाते हैं।
* डॉक्टर मोहन यादव ने माधव विज्ञान महाविद्यालय से अपनी पढ़ाई की है। साथ ही यही वो समय था जब वह राजनीति के गुड़ सीख रहे थे और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे। जिसके बाद मोहन को पहली बार 1982 में छात्र संघ का सह सचिव चुना गया।
* मोहन के विरोध के बाद शिक्षा विभाग ने वापिस लिया था कानून।
* 2021 में मोहन उस समय विवाद का हिस्सा रहे, जब उन्होने उच्च शिक्षा विभाग के एक कानून को लेकर बयान दिया था।
* कानून में कहा गया था कि जिस छात्र के नाम आपराधिक रिकॉर्ड है, उसे कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। हालांकि बाद में यह कानून का वापस ले लिया गया।
राजनीतिक यात्रा-
* 2023 में तीसरी बार विधायक और पहली बार बने मुख्यमंत्री
* 2020 में बीजेपी की सरकार बनने पर मोहन यादव को कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
* 2018 में उन्होने दूसरी बार उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक चुना गया।
* 2013 में उन्होने पहली बार उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से चुनाव जीता और विधायक बने।
* 2011 में उन्हें पहली बार दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
* 2002 में मोहन यादव को विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की कार्यकारी परिषद का सदस्य चुना गया था।
* 1989 में मोहन यादव को प्रदेश इकाई की परिषद के मंत्री नियुक्त किया गया। साथ ही 1991 में राष्ट्रीय परिषद का मंत्री बनाया गया।
* 1984 में वह छात्र संघ के अध्यक्ष और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नगर मंत्री चुने गए।
* 1982 में मोहन यादव को पहली बार छात्र संघ का सह सचिव बनाया गया।