लोटस डायग्नोस्टिक्स ने भोपाल में 20 से ज्यादा संक्रामक रोगों की जांच के लिए RT-PCR टेस्टिंग की शुरुआत की; माइलैब के साथ हेल्थटेक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए
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भोपाल, October 5, 2023– भोपाल में उच्च स्तरीय और किफायती डायग्नोस्टिक्स सेवाओं के एक नए दौर की शुरुआत हुई है। इस शहर में अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित लेबोरेटरी, लोटस डायग्नोस्टिक्स ने अधिक सटीक जांच रिपोर्ट के लिए RT-PCR परीक्षणों की एक बड़ी रेंज की पेशकश की है। माइलैब के साथ हेल्थटेक साझेदारी के बाद, लोटस डायग्नोस्टिक्स भोपाल में विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिए RT-PCR टेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध कराने वाली पहली लैब बन गई है, जिसमें एचआईवी, हेपेटाइटिस सी एवं बी, रक्तदाता परीक्षण, ट्यूबरकुलोसिस, चिकनगुनिया, डेंगू, मलेरिया तथा जीवाणुओं से होने वाले कई तरह के संक्रमण, कैंसर और आनुवंशिक रोग शामिल हैं।
लोटस डायग्नोस्टिक्स में माइलैब की अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक मशीनें लगाई गई हैं तथा बेहद कुशल प्रोफेशनल लोगों की एक टीम को नियुक्त किया गया है, जो एकदम सटीक और सही समय पर जांच के नतीजे प्रदान करने के लिए समर्पित हैं। इस तरह शहर के लोगों को आवश्यक जांच के नतीजे तुरंत और कुशलता से प्राप्त करने की सुविधा मिलती है, और उन्हें दूर-दराज के केंद्रों में जाने की जरूरत नहीं होती है। इसके अलावा, मरीजों को जांच के नतीजे पाने के लिए बेहद कम इंतजार करना पड़ता है, और इस तरह चिकित्सकों को बीमारी की तुरंत पहचान करना और सही इलाज शुरू करने में मदद मिलती है।
लोटस डायग्नोस्टिक के संस्थापक, श्री नवीन शर्मा ने कहा, “अगर देश के दूरदराज के इलाकों में RT-PCR टेस्ट की सुविधा उपलब्ध कराने की बात की जाए, तो इस मामले में माइलैब की हेल्थटेक साझेदारी भगवान से मिले तोहफे की तरह है। हमने अपने शहर के लोगों को व्यापक और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिए मॉलिक्यूलर में अपग्रेड किया है, जो हमारी ओर से उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। हम यहाँ के निवासियों को हमारी सुविधाजनक एवं भरोसेमंद परीक्षण सेवाओं का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करते हैं, जिससे पता चलता है कि हम अपने समुदाय की भलाई और उनकी बेहतर सेहत के अपने इरादे पर अटल हैं।”
डॉ. अबरेज़ सौलट, पल्मोनोलॉजिस्ट, ने कहा, “अगर हम टीबी की बात करें, तो हम पाते हैं कि भारत में दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता की बहुत बड़ी समस्या है। अब तक, भारत में इसके लिए 2 टेस्ट करने पड़ते थे: सबसे पहला टेस्ट टीबी का पता लगाने के लिए और दूसरा टेस्ट दवा, वह भी केवल एक दवा (रिफैम्पिसिन) के खिलाफ के प्रतिरोधक क्षमता की जांच के लिए किया जाता था। माइलैब की टीबी किट की मदद से, अब एक ही टेस्ट के जरिए मरीज़ में सक्रिय टीबी संक्रमण के साथ-साथ दो सबसे आम दवाओं – आइसोनियाज़िड और रिफैम्पेसिन के प्रति दवा प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाया जा सकता है।”
‘माईलैब की ओर से हेल्थटेक साझेदारी’ देश के दूर-दराज के इलाकों में उद्यमियों को मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स लैब बनाने में मदद करने के लिए शुरू की गई है पहल है, ताकि दूर-दराज के इलाकों में भी डायग्नोस्टिक्स सेवाओं को सुलभ बनाया जा सके। लैब के मालिक और डॉक्टर अब मरीजों को तेज और बेहतर गुणवत्ता वाले डायग्नोस्टिक परिणाम उपलब्ध कराने में सक्षम होंगे, जिसकी वजह से बेहतर नतीजे मिल पाएंगे। अब उन्हें मरीजों के नमूने को अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में भेजने की जरूरत नहीं होगी, जिससे समय और लागत की बचत होगी।