मुख्यमंत्री व केंद्रीय कृषि मंत्री के आतिथ्य में भोपाल में महाराणा प्रताप स्मारक का शिलान्यास
मुख्यमंत्री व केंद्रीय कृषि मंत्री के आतिथ्य में भोपाल में महाराणा प्रताप स्मारक का शिलान्यास

एकजुट रहने की प्रेरणा देता है महाराणा प्रताप का जीवन – श्री शिवराज सिंह चौहान
सांस्कृतिक अभ्युदय के फलस्वरूप हर क्षेत्र में अग्रणी
भूमिका निभा रहा है भारत – श्री नरेंद्र सिंह तोमर
भोपाल/नई दिल्ली, 28 सितंबर, 2023, म.प्र. के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान व केंद्रीय कृषि एवं किसान
कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में आज भोपाल में महाराणा प्रताप स्मारक का शिलान्यास
किया गया। यह स्मारक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जीवनी व उनके शौर्य से अवगत कराएगा। इस
कार्यक्रम में म.प्र. के अनेक मंत्री, अन्य जनप्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में समाजबंधु उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महाराणा प्रताप अप्रतीम शौर्य के प्रतीक थे, जिन्होंने झुकना नहीं
सीखा था। उनका नाम लेते ही रोम रोम पुलकित हो जाता है। हमने तय किया, जिन्होंने अद्भुत इतिहास रचा
है, उनसे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा लेना चाहिए। सरकार का काम सिर्फ पुल-पुलिया, सड़कें बनाना ही नहीं
है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देना व सही ढंग से इतिहास पढ़ाना भी है, इसलिए तय किया गया
कि भोपाल में महाराणा प्रताप के शौर्य व कृतित्व से परिचित कराने वाली संरचना बनाई जाएं। उनकी भव्य
प्रतिमा भी बनेगी। उनकी जीवनी पर 20 मिनट की फिल्म के प्रदर्शन के लिए सेंटर बनेगा। जीवन की घटनाओं
पर आधारित गैलरी का निर्माण किया जाएगा और दो हजार लोगों के बैठने की क्षमता का आकाशीय मंच भी
बनाया जाएगा। उनकी जीवनी भारत को एकजुट रहने की प्रेरणा देती है। उनकी सेना में हर जाति व पंथ के
लोग थे। छापामार युद्ध में कीर समुदाय की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनकी महागाथा से एकता की सीख
मिलती है। इसी तरह म.प्र. में बुंदलेखंड के गौरव महाराजा छत्रसाल बुंदेला के समाधिस्थल पर उनके जीवन
व योगदान पर आधारित भव्य स्मारक बनाया जाएगा। श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के
नेतृत्व में आजादी के अमृत काल में वैभवशाली भारत के निर्माण के महायज्ञ में यह योगदान स्वरूप रहेगा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि एक समय था जब भारत को सोने की
चिडिय़ा कहा जाता था एवं विश्वगुरु माना जाता था दुनिया के लोग यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे। दुर्भाग्य
से एक समय ऐसा भी आया, जब भारत में अकबर को महान बताया जाने लगा, उसी का परिणाम है कि हम
लंबे समय तक दुरावस्था का शिकार हुए। आजादी के बाद महाराणा प्रताप व शिवाजी महान को अच्छे से
पढ़ाया जाता तो आज भारत दुनिया का नेतृत्व करने वाला देश बन चुका होता उतार-चढ़ाव प्रकृति के हिसाब
से चलते हैं। अब उतार का समय समाप्त हो गया है और हिन्दुस्तान के उदय का समय प्रारंभ हो गया है।
आजादी के 75 साल व 2047 में आजादी के 100 के बीच का 25 साल का समय भारत को ऊंचाइयां प्रदान
करने का समय कोई भी देश, समाज, व्यक्ति ऊंचाई पर तभी पहुंचता है, जब उसके मन में अपनी संस्कृति
व पूर्वजों के चरित्र के प्रति गौरव होता है। हम सौभाग्यशाली हैं कि वह समय हमें दिखाई दे रहा है।
श्री तोमर ने कहा कि आज हमारा देश आध्यात्मिक दृष्टि से अग्रणी भूमिका निभा रहा है। एक समय
लोग कहते थे, राम मंदिर कभी नहीं बनेगा, लेकिन केंद्र व उ.प्र. सरकार के सहयोग से मंदिर बनकर तैयार
होने वाला है और जनवरी में इस नए मंदिर में हम भगवान श्रीराम के दर्शन करेंगे। आज प्रधानमंत्री जी के
सांस्कृतिक अभ्युदय के परिणामस्वरूप काशी का कॉरीडोर बन गया है, पूरी दुनिया इसे देखने के लिए आ रही
है। चाहे चंद्रयान के दक्षिण ध्रुव में तिरंगा फहराने का मामला हो या जी-20 में झंडा गाडने का सबमें भारत
अग्रणी है। इसी तरह म.प्र. में मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में उज्जैन में महाकाल लोक, ओंकारेश्वर में
शंकराचार्य लोक, ओरछा में राम राजा लोक, सलकनपुर में मैया का लोक जैसे सांस्कृतिक अभ्युदय के कार्यक्रम
हो रहे हैं। भोपाल में महारानी पद्मावती का स्मारक भी बनकर तैयार है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि कुछ और
भी करना चाहिए। महाराणा प्रताप, चेतक घोड़ा भीलों की सेना को याद किया जाना चाहिए। जन्म से लेकर
पुण्य स्मरण तक का कालखंड पूरा प्रदर्शित होना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सकें, उस रास्ते पर
चलकर भारत माता को परम वैभव के शिखर पर पहुंचा सके और आज हम इस पल के साक्षी बन रहे हैं।
म.प्र. के मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह, सुश्री उषा ठाकुर, श्री गोविंद सिंह राजपूत, श्री बृजेंद्र प्रताप सिंह, डॉ.
महेंद्रसिंह सिसौदिया, डॉ. अरविंदसिंह भदौरिया, श्री राजवर्धनसिंह दतीगांव, श्री ओ.पी.एस. भदौरिया मौजूद थे।
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