कल्पसूत्र, जीवन सूत्र हैः अमित पारख

कल्पसूत्र, जीवन सूत्र हैः अमित पारख

चांदी की पालकी में कल्पसूत्र जी शोभायात्रा निकाली गयी

ग्वालियर 14 सितंबर। पर्यूषण पर्व का तीसरा दिनः महापर्व पर्यूषण के तीसरे दिन उपाश्रय भवन साधकों से खचा-खचा भरा हुआ था। प्रवचनों से पहले प्रातः 8ः30 बजे चॉंदी की पालकी में महान ग्रंथ कल्पसूत्र जी को रखकर शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में श्री संघ के अधिकांश सदस्य सम्मलित हुये एवं नृत्य करते हुए व जयकारे लगाते हुए चले। मार्ग में पड़ने वाले जैन श्रावकों के घर के सामने उन्होंने कल्पसूत्र जी के आगे अक्षत से गवली की, श्रीफल एवं चढ़ावा चढ़ाकर लाभ लिया सराफा मंदिर से प्रारंभ यह शोभायात्रा सराफा मंदिर से प्रारंभ होकर डीडवाना ओली, नईसड़क, दानाओली, मोर बाजार, महाराज बाड़ा होते हुये उपाश्रय भवन में पहॅुंची जहां पर पन्नालाल जी कमल चंद जी शिखर चंद जी दीपक तातेड परिवार ने कल्पसूत्र जी को जावरा से पधारे अमित पारख को वैराया। तद्उपरांत श्री संघ के सदस्यों ने वासक्षेप से कल्पसूत्र जी की पूजा की। अमित पारख़ ने नवकार मंत्र का जाप कर कल्पसूत्र जी का वाचन प्रारंभ किया। कल्पसूत्र क्या हैः अमित पारख ने बताया कि कल्पसूत्र जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण शास्त्र है, जिसे वर्षों पहले आचार्य भद्रबाहु स्वामी ने प्राकृत भाषा में लिखा था। इसमें जैन तीर्थंकर भगवानों के जीवन चरित्र का वर्णन के साथ श्रावक श्राविकाओं की पवित्र जीवन शैली का निर्देषन दिया गया है। आज के इस वैज्ञानिक युग में कल्पसूत्र सच्चे मायनों में जीवन शैली का परिचय करवाता है। इस ग्रंथ के मूल सूत्रों का वाचन केवल जैन साधु-साध्वीयां कर सकती हैं।
जावरा से पधारे अभिषेक जैन ने बताया कि संसार की हर वस्तु, व्यक्ति में कुछ न कुछ सद्गुण व अच्छाई होती है, किसी न किसी में कोई दुर्गुण होते ही है। जिस व्यक्ति के जैसे भाव जैसी दृष्टि होती है-उसे वहीं चीज दिखती है। केवल परमात्मा ही एक एैसे व्यक्ति है, जिनमें गुण ही गुण है। भक्ताम्बर सूत्र में मानतुंग आचार्य भगवंत कहते है- सारे गुण परमात्मा में एक साथ विराजमान है। परमात्मा का सच्चा भक्त वहीं है जो परमात्मा की आज्ञा का पालन करता है। परमात्मा की आज्ञा है-पौषधः प्रकृट औषधः इति पौषधः। जैसे शरीर बीमार हो जाए तो औषधि से ठीक किया जा सकता है। उसी प्रकार आत्मा में जो रागद्वेष रूपी रोग है-उसे ठीक करने के लिए विशिष्ट औषध है पौषध। इस दिन श्रावक उपवास व्रत का धारण करते है, सामायिक करते है और भी बहुत सी क्रियाएं होती है। इसे समझाने के लिए अमित पारख ने सूर्ययश राजा की कथा सुनाई। फिर उन्होंने कल्पसूत्र जी का वांचन प्रारंभ किया, जिसमें मुनियो के 10 कल्प अर्थात आचार का वर्णन किया फिर चार्तुमास के योग्य क्षेत्र कैसा हो इस विषय में प्रकाश डाला।
पयूर्षण पर्व के चौथे दिन के कार्यक्रमः श्रीसंघ के अध्यक्ष सुनील दफ्तरी, कपूरचंद कोठारी, सुशील श्रीमाल, मनोज पारख, दीपक जैन, राहुल कोठारी एवं संजीव पारख ने बताया कि गुरूवार, 15 सितंबर को प्रातः 9ः00 बजे कल्पसूत्र जी का वाचन एवं मंदिर जी मैं रात्रि भक्ति 8:30 बजे से होगी ।

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