कीट ब्याधि से फसल सुरक्षित रखना किसानों के लिये आवश्यक – डॉ. सुनीता पाण्डेय

कीट ब्याधि से फसल सुरक्षित रखना किसानों के लिये आवश्यक - डॉ. सुनीता पाण्डेय

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अभिलाषा है कि किसान के लिये खेती पूर्णतः लाभ का धंधा बन जाये। इसको पूर्ण करने के लिये केन्द्र सरकार का कृषि एवं किसान कल्याण विभाग निरंतर नई तकनीकी का विकास कर रहा है। किसान को रवी एवं खरीफ सीजन की प्रत्येक फसल का गुणवत्तावान उत्पादन मिल सके, यह प्राथमिकता पर लिया गया है। इसके लिये स्थानीय राज्य सरकार का महत्वपूर्ण योगदान भी लिया जा रहा है।

किसान को फसलों के विषय में एनपीएसएस अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। आज के दौर में पेस्टीसाइड का अधिक उपयोग चिंता का विषय बन गया है। वहीं बुवाई से लेकर फसल कटने तक कीट ब्याधि पर नियंत्रण रखने के साथ ही फसल को सुरक्षित करने की जानकारी प्रशिक्षणों के माध्यम से दी जा रही है। केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन की राष्ट्रीय योजना प्रमुख डॉ. सुनीता पाण्डेय ने पांच दिवसीय प्रशिक्षण में भाग लेने आये मध्यप्रदेश के 40 ग्राम विकास अधिकारी व किसानों को अवगत कराया।

डॉ. पाण्डेय ने कहा कि किसानों को आवश्यकता पडऩे पर ही विवेकपूर्ण तरीके से पेस्टीसाइड का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके उपयोग से पूर्व उसकी जांच आवश्यक है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को इस संबंध में देश के अनेक राज्यों में रवी व खरीफ फसल पर कीट ब्याधियों के प्रकोप पर अनेक उदाहरण दिये। केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र मुरैना, कार्यालय द्वारा पांच दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया है। इस ओरियेन्टेशन मानव संसाधन विकास प्रशिक्षण में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग मध्यप्रदेश, वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के सहयेग से आयोजित किया जा रहा है।

इसमें एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन को लेकर कृषि विशेषज्ञों, कृषि वैज्ञानिकों एवं तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को खाद एवं कीटनाशक का फसल में उपयोग न कर अधिक गुणवत्तावान उत्पादन लेने के विषय में अवगत कराया जायेगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम शुभारंभ अवसर पर सभी अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस अवसर पर पधारे हुये सभी अतिथियों का मुरैना कार्यालय प्रभारी सुनीत कटियार द्वारा पुष्पगुच्छ व माल्यार्पण कर स्वागत किया।

सभी प्रशिक्षणार्थियों को डा. एस. आर. के सिंह, अटारी, जबलपुर तथा डाक्टर जे पी सिंह वनस्पति संरक्षण सलाहकार भारत सरकार ने कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से जुडकर जानकारियों से अवगत कराया। वहीं डा. वाय. पी सिंह, संचालक अतिरिक्त सेवायें राजमाता विजयाराजे सिंधिया, कृषि विश्व विद्यालय ग्वालियर ने बताया कि पंजाब में उत्पादित हो रहे धान, गेहूं में अधिक पेस्टीसाइड उपयोग होने के कारण वहां की जनता के उपयोग में नहीं आ रहा है।

अधिक पेस्टीसाइड से बीमारियां उत्पन्न हो रही है। आज मानव की सुरक्षा व सुविधा के लिये फसल का उत्पादन किया जाना किसान की जिम्मेदारी है क्योंकि पेस्टीसाइड के उपयोग से अनुपयोगी हो रहे खाद्यान्न से संकट उत्पन्न हो रहा है। हमारे देश में अन्न की पूजा की जाती है। इसलिये इसका उपयोग जरूरी है। पूर्व की पीढ़ी अशिक्षित होने के बावजूद भी कम खाद व पेस्टीसाइड में बेहतर उत्पादन किया करती थी।

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