ज्यूडिशियल ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस में बोले सुबोध जैन -मप्र की न्यायपालिका में 37% महिलाओं का होना गर्व की बात
ज्यूडिशियल ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस में बोले सुबोध जैन -मप्र की न्यायपालिका में 37% महिलाओं का होना गर्व की बात

भोपाल। राजधानी भोपाल के रविंद्र भवन में शनिवार से ज्यूडिशियल ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई। शुरूआती दौर के सत्र में अपना संबोधन देते हुए मध्यप्रदेश न्यायाधीश संघ के सचिव सुबोध जैन ने कहा, ‘मप्र न्यायाधीश संघ 27 अगस्त 1998 में अस्तित्व में आया। यह 10वीं कॉन्फ्रेंस है। यह पिछली कॉन्फ्रेंस से अलग है। कॉन्फ्रेंस की थीम लुकिंग अहेड है।’बता दें कि यह आयोजन दो दिन तक चलेगा।
श्री जैन ने कहा, ‘मध्यप्रदेश की न्यायपालिका महिला सशक्तिकरण पर खरी उतरी है। मध्यप्रदेश की न्यायपालिका में 37% महिलाएं हैं। यह गर्व की बात है। मध्यप्रदेश की न्यायपालिका के सुपर टाइम स्केल के 60 जज में से 6 महिला जज हैं। सिलेक्शन ग्रेड स्तर पर 19 महिला जज हैं।
जिला न्यायाधीश के एंट्री लेवल पर 536 जज में 87 महिला जज हैं और सिविल जज सीनियर डिवीजन में 453 पदों पर 155 महिला जज हैं। उन्होंने कहा, ‘कॉन्फ्रेंस में हम जिला न्यायपालिका को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा करेंगे। हमारी कोशिश है कि 2047 तक हमारे पास दिखाने के लिए सकारात्मक पहलू हों। मध्यप्रदेश न्यायालय लाइव स्ट्रीमिंग प्रणाली लागू करने वाला देश का पहला न्यायालय है।’
कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस जेके माहेश्वरी ने मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ की मौजूदगी में किया।मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मालिमठ ने कहा, ‘साल 2047 तक हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश में एक भी प्रकरण न रहे। साल 2021 में पेंडिंग केस जल्द खत्म करने का लक्ष्य रखा गया था।
सबसे पुराना प्रकरण 1962 का था। 2.5 साल बाद हमारी कोशिशों से कुछ सुधार हुआ है। पहले जहां सभी केस की सुनवाई नहीं होती, अब प्रदेश में उनकी सुनवाई हो रही है। मैं हर ज्यूडिशियल ऑफिसर को इस बात की बधाई देता हूं।’
उन्होंने कहा, ‘वकील के तौर पर जब आप जीतते हैं तो बहुत खुशी होती है, ठीक ऐसे ही एक जज के लिए किसी भी केस का सही फैसला, सही न्याय संतुष्टि देता है।’गौर करने वाली बात यह है िक पांच साल बाद हो रही इस बैठक में लगभग पंद्रह सौ यानि कि डेढ हजार जज एक साथ राजधानी में मौजूद हैं।