माओवादी संग केस में हाई कोर्ट ने फैसला बदला, प्रोफेसर जीएन साईबाबा संग पांच अन्य की सजा माफ
माओवादी संग केस में हाई कोर्ट ने फैसला बदला, प्रोफेसर जीएन साईबाबा संग पांच अन्य की सजा माफ
2014 में शुरू हुए माओवाजियों संग लिंक केस में नागपुर पीठ ने आज फैसला सुनाते हुए कहा कि वह इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को बरी कर रही है क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ उचित संदेह से परे मामला साबित करने में विफल रहा। कोर्ट ने साईबाबा के अलावा जिन लोगों को बरी किया है, उनके नाम- हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण संगलिकर, प्रशांत राही, पांडू नैरोट (मृत) हैं।।
बता दें जीएन साईबाबा और उनके सह-आरोपियों को 2014 में माओवादी गुटों से जुड़े होने और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जीएन साईबाबा दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के शिक्षक थे।
वह 2003 में कॉलेज में शामिल हुए थे और अंग्रेजी विभाग में सहायक प्रोफेसर थे। माओवादी संबंधों के संदेह में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें 2014 में उन्हें विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया दिया गया था। अहम बात यह है कि निलंबन के बाद से, उनके परिवार को उनके पद के लिए केवल आधा वेतन मिला। अंततः 31 मार्च, 2021 को कॉलेज के प्रिंसिपल ने उनकी सेवाओं को “तत्काल प्रभाव से” समाप्त करने के लिए एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
2014 में गिरफ्तारी के बाद से वह नागपुर केंद्रीय कारागार में बंद हैं। मार्च 2017 में, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने उन्हें और एक पत्रकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र सहित अन्य को कथित माओवादी संबंधों और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया था।
आज बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत माओवादी समूहों के साथ संबंध का आरोप लगाने वाले एक मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य की सजा को पलट दिया है।