घर-घर जाकर सिकिल सेल एनीमिया की जांच कर रही स्वास्थ्य विभाग की टीम

घर-घर जाकर सिकिल सेल एनीमिया की जांच कर रही स्वास्थ्य विभाग की टीम

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राकेश शर्मा ने बताया है, कि स्वास्थ्य विभाग सिकिल सेल एनीमिया कि जॉच में जुट गया है। आदिवासी वाले क्षेत्रों में इस बीमारी का प्रकोप अधिक रहता है, इसलिए मेडिकल टीम इन क्षेत्रों में गहनता से जॉच कर रही है।

उन्होंने बताया कि सिकिल सेल पॉजिटिव व्यक्ति में हीमोग्लोविन के आकार में बदलाव आ सकता है, जिससे रक्त में ऑक्सीजन की कमी होती है। इसके कारण ब्लॉकेज की समस्या आती है, जो हार्टअटैक का कारण बनती है। इसके प्रभाव से किडनी फैल हो जाती है।

यह बीमारी माता-पिता से बच्चे में आ जाती है, सिकिल सेल पॉजिटिव व्यक्ति भी आम आदमी की तरह साधारण जीवन जी सकता है। आवश्यक उपचार और चिकित्सीय परामर्श से वह अन्य व्यक्ति को इससे प्रभावित नही करेगा। इसमें सावधानी रखना जरूरी होता है। इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को शादी से पहले कुंडली मिला से ज्यादा जरूरी है।

मेडीकल रिपोर्ट का मिलान करना। यही शादी से पहले दोनों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता ह और दोनों पॉजिटिव निकलने पर शादी नहीं करना चाहिए। यदि दो में से एक व्यक्ति प्रभावित है तो शादी की जा सकती है। मेडीकल परामर्श के साथ ही दाम्पत्य जीवन शुरू करना चाहिए।

यदि गर्भवती सिकिल सेल पॉजिटिव है, तो बच्चे में भी सिकिल आ सकता है। माता-पिता दोनों पॉजिटिव होने पर पच्चास प्रतिशत से अधिक बच्चे पॉजिटिव हो सकते है। इसके लिए गर्भवती महिला की जाँच की जाती है।

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र गुप्ता ने बताया कि पूरे जिले में सिकिल सेल से निपटने के लिए प्रत्येक ब्लाक के ग्राम में टीम गठित की गई है। टीम घर-घर जाकर लोगों का परीक्षण कर रही है। जन समुदय के लोगों को सिकिल सेल के प्रति जागरूक किया जा रहा है, जिससे लोग समय पर अपनी जॉच करवा सके।

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