गोरखपुर: थाना-तहसील के बीच में चकरघिन्नी बन जाते फरियादी, सीएम को पीड़ा सुनाई, अब शुरू हुई सुनवाई

गोरखपुर: थाना-तहसील के बीच में चकरघिन्नी बन जाते फरियादी, सीएम को पीड़ा सुनाई, अब शुरू हुई सुनवाई

सीएम का जनता दर्शन हो या फिर पुलिस दफ्तर। हर दूसरा शख्स जमीन विवाद की फरियाद लिए ही आता है। कुछ यही हाल तहसीसों का भी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि राजस्व टीम मामले के निपटारे में रुचि ही नहीं लेती है। फिर मामला खूनखराबे तक पहुंच जाता है और पुलिस के पास फरियादी पहुंचते हैं।पुलिस केस दर्ज करती है, लेकिन सिर्फ मारपीट का। असल समस्या बरकरार रहती है। दो विभागों के बीच में लोग चकरघिन्नी बन गए हैं। देवरिया कांड के बाद ऐसे कई लोगों ने सीएम से भी गुहार लगाई है। उसी के बाद से पुलिस और प्रशासन के अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है। अब तेजी से सुनवाई शुरू हुई है।
जिले में ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें राजस्व टीम सीधे थाना पुलिस को जांच कर कार्रवाई का आदेश देती है और पुलिस फिर राजस्व के पास जाने की सलाह। अब जब देवरिया में ऐसे ही जमीन विवाद में छह लोगों की हत्या तक हो गई है तो अफसरों ने गांव-गांव में विवाद की सूची तैयार करनी शुरू कर दी है। वहीं, पहले से 237 मामले चिह्नित हैं, जिस पर अब एक्शन की तैयारी है।जानकारी के मुताबिक, शासन स्तर से जमीन के मामलों के निपटारे के लिए हर महीने में दो बार तहसील और दो बार थाना दिवस का आयोजन किया जाता है। मकसद तो यही है कि इस दिन दोनों विभागों की संयुक्त टीम मौके पर जाएं और निपटारा कर दें, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। लंबे समय से फरियाद लिए लोग एक जगह से दूसरे जगह पर जाते हैं और न्याय की उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं। कई बार इसमें बड़ी वारदात सामने आती हैं, जिसके बाद ही अफसरों की नींद खुलती है।
सलाह लिखकर करते थे निपटारा, डीएम ने लगा दी रोक

गोरखपुर में भी समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) पर एंटी भू माफिया संदर्भ में की गई शिकायतों में से अधिकतर का निस्तारण सलाह देना लिखकर खत्म कर दिया जाता है। खुद डीएम ने इसे एक महीने में पकड़ा है और इसके बाद से उन्होंने इस पर रोक लगाते हुए मौके पर जाकर रिपोर्ट लगाने को कहा है। इसके बाद कुछ सुधार तो हुआ है, लेकिन लेखपाल और कानूनगो की मनमानी अब भी जारी है। हकीकत तो यह है कि लेखपाल ने अपने कर्मचारी रख लिए हैं और वह उन्हें ही मौके पर भेजते हैं।

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