सियासत में समय का खेल – दल बदले जीतने के लिए लेकिन टिकिट नहीं मिला

सियासत में समय का खेल - दल बदले जीतने के लिए लेकिन टिकिट नहीं मिला

भोपाल। आम तौर पर यही होता है कि नेता लोग चुनाव आते ही मौकापरस्त हो जाते हैं और सोचते हैं कि अवसर का लाभ लिया जाये लेकिनकभी कभी ये प्रयोग भारी पड जाता है। मजेदार बात यह है कि मध्‍य प्रदेश के आठ नेताओं ने इस आस में पार्टी बदली कि शायद टिकट मिल जाएगा, लेकिन जब टिकट की घोषणा हुई, तो मायूसी हाथ आई। इनमें तीन नेता भाजपा में तो पांच कांग्रेस में गए थे। ये नेता अब निर्दलीय या दूसरी छोटी पार्टियों के सिंबल पर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे लोगो का सपना सच हो गया या नही यह कहना मुश्किल है।

इन्‍होने बदली पार्टी –
सबसे दिलचस्प मामला मैहर का है। यहां के विधायक नारायण त्रिपाठी को न तो बीजेपी ने टिकट दिया और न ही कांग्रेस में जगह मिली। अब अपनी नई नवेली पार्टी ही सहारा है।उसका भी अभी तक जमीन पर पता नहीं है।

इसी प्रकार दूसरा चेहरा बसपा से भाजपा में शामिल संजीव सिंह कुशवाहा हैं। पटवारी भर्ती कांड में उनकी एनआरआई कॉलेज की भूमिका ने उन्हें बेटिकट कर दिया। अब वो किसी दल में नहीं हैं।हालांकि संजीव ने ताल ठोका है कि वे निर्दलीय चुनाव लडेंगे और अपनी किस्‍मत आजमायेगे।

पिछली बार जबलपुर उत्तर से धीरज पटेरिया निर्दलीय चुनाव लड़े थे। तब भाजपा 578 वोटों से चुनाव हार गई थी। धीरज की अभी दो महीने पहले ही भाजपा में वापसी हुई थी। इस बार भी टिकट मांग रहे थे, पर भाजपा ने यहां से जबलपुर पश्चिम से चुनाव की तैयारी कर रहे अभिलाष पांडे को टिकट दे दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button