कांग्रेस में बदलेगी चुनावी रणनीति – लोकसभा चुनाव में लगभग 11 बड़े नेताओं को उतारने की तैयारी; जीतू को राज्यसभा भेजना संभव, दिग्गी ,कमलनाथ सहित तंखा आदि को उतारने पर मंथन
कांग्रेस में बदलेगी चुनावी रणनीति – लोकसभा चुनाव में लगभग 11 बड़े नेताओं को उतारने की तैयारी; जीतू को राज्यसभा भेजना संभव, दिग्गी ,कमलनाथ सहित तंखा आदि को उतारने पर मंथन
भोपाल। राजनीति और जंग में सबकुछ जायज होता है। इसी फार्मूले को आधार बनाकर अब कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव लडने का मन बना रही है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि कांग्रेस इस मामले में अब भाजपा की कांपी करेगी यानि कि जिस प्रकार प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बड़े नेताओं को मैदान में उतारा था उसी प्रकार अब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारेगी।
इसके तहत पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह समेत 11 बड़े नेताओं का चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। इस सूची में केपी सिंह, कमलेश्वर पटेल, तरुण भनोत, हिना कांवरे, अरूण यादव समेत उन नेताओं के नाम शामिल हैं, जो पार्टी के वरिष्ठ हैं और विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारने की बात सामने आ चुकी है। इस दिशा में तेजी से मंथन भी हो रहा है। बता दें कि इस बैठक में पार्टी के जिला और ब्लॉक अध्यक्ष भी मौजूद थे। जितेंद्र सिंह ने लोकसभा समन्वयकों से पदाधिकारियों के साथ बैठक कर संभावित दावेदारों के नाम 31 जनवरी तक देने के लिए भी कहा है।
क्या कहते हैं जानकार –
प्रदेश की सियासत को जानने वाले बताते हैं कि अभी मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने से कांग्रेस को नुकसान कम और फायदा ज्यादा है। दरअसल अब कांग्रेस के पास बटोरने का ही रास्ता बचा है ऐसे में यदि वरिष्ठों को चुनाव मैदान में उतारा जाये तो संभव है कि कुछ गंुजांइश हो जाये अन्यथा क्लीन स्वीप ही है।
केंद्र की मोदी सरकार ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करवाकर देश के मतदाताओं को साफ संकेत दे दिया है कि वो अपने बचन से पीछे नहीं हटेगी और जो कहा वो किया । भाजपा और मोदी यानि कि गारंटी का पर्याय है। ऐसे में कांग्रेस के पास चेहरे से लेकर मुदो तक की कमी है। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस को अंदर और बाहर दोनों चुनौतियों का सामना करना है।
जीतू को राज्यसभा भेजा जा सकता है –
पार्टी के सूत्रों की मानें तो अभी फिलहाल प्रदेश कांग्रेस की कमान जीतू पटवारी संभाल रहे हैं ऐसे में उनको एकाग्र रखा जाना बेहद जरूरी है। ऐसे में वे चुनाव नहीं लडेंगे बल्कि राज्य सभा भेजा जा सकता है। ताकि उनकों लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए पर्याप्त संमय मिल सके । वैसे भी इस बार राज्यसभा कांग्रेस के पाले में एक ही सीट आने वाली है।
प्रदेश कांग्रेस को अब अनुभव की जरूरत-
सूत्रों ने बताया कि प्रदेश के बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने के पीछे कांग्रेस का यह मानना है कि वरिष्ठ नेता जिस सीट से चुनाव लड़ेंगे, वहां वे कार्यकर्ताओं को एकजुट कर बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में सक्षम होगें।इसका बाकी सीटों पर भी प्रभाव पड़ेगा।
एक और ये भी तर्क है कि जिस तरह भाजपा चुनाव की तैयारी कर रही है, उससे मुकाबला करने के लिए दिग्गज नेताओं के अनुभव की जरूरत है। हालांकि, कांग्रेस ने 2019 में भी 6 बड़े नेताओं को टिकट दिया था, लेकिन वे सभी चुनाव हार गए थे।
पहली सूची के प्रमुख नाम –
भाजपा को चुनाव में टक्कर देने के लिए कांग्रेस की जो रणनीति है उसमें पहली सूची में कुछ प्रमुख नाम हैं जिनकी पसंदीदा सीट से चुनाव लडाया जा सकता है।
अजय सिंह को सीधी , केपी सिंह को शिवपुरी गुना , सुरेश् पचौरी को भोपाल या नर्मदापुरम से , अरूण यादव को खंडवा , डा गोविंद सिंह को ग्वालियर , कांतिलाल भूरिया को झाबुआ या रतलाम , दिग्विजय सिंह को राजगढ से , कमलनाथ अब नकुलनाथ की जगह छिंदवाडा से मैदान में उतर सकते हैं।ऐसे में देखना यह है कि कांग्रेस की यह रणनीति कितना कारगर होगी । एक बात तय है कि इस बार यदि ये नेता अपना परिणाम नही दे पाये तो आने वाले समय में अब पूरी तरह घर भी बैठ जायेंगे।