चुनाव आयोग को पूजा के बहाने नेताओं की सभा मंजूर नहीं
कलेक्टरों को रखनी होगी निगाह, कार्यक्रम की हर जानकारी देनी होगी
भोपाल। चुनावी प्रक्रिया को बिना किसी बाधा के संपन्न कराने को लेकर चुनाव आयोग सतर्क और पूरी तरह तैयार है। यही कारण है कि आयोग ने सियासी दलों और नेताओं को गाइडलाईन भी बता दिया है। आयोग ने साफ कर दिया है कि किसी भी नेता और दल को नवरात्र पर्व और दीपावली के त्यौहार के बीच किसी भी प्रकारके धार्मिक आयोजन में भाग नहीं लेना होगा। अन्यथा कार्रवाई की जायेगी।आयोग ने साफ कह दिया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कलेक्टर और उनके अधीनस्थ अफसर किसी भी धार्मिक स्थल के परिसर में सभा की अनुमति नहीं दे सकेंगे। चुनाव आयोग ने इस मामले में सख्त हिदायत देते हुए अनुमति देते वक्त इसका ध्यान रखने को कहा है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों को जुलूस एवं रैली की अनुमति देने में यह स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा कि जुलूस व रैली किन-किन मार्गों से गुजरेगी तथा उसका समापन कहां होगा। दो राजनैतिक दलों को एक ही समय में एक ही स्थान पर सभा की अनुमति नहीं होगी। सभाओं के बीच में कम से कम तीन घंटे का अंतर रखा जाएगा।
सर्किट हाउस, रेस्ट हाउस में राजनैतिक अनुमति नहीं होंगी
आयोग ने यह भी साफ कर दिया है कि चुनाव आचार संहिता के दायरे में जिलों और विकासखंड व अन्य स्थानों पर बनाए गए सर्किट हाउस, रेस्ट हाउस भी रहेंगे। इन स्थलों की गतिविधियों पर भी नजर रखने के निर्देश मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने कलेक्टरों को दिए हैं। इसमें कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत जिले के सभी विश्राम भवनों को अधिग्रहीत किया जाकर कार्यवाही की जाना है। विश्राम गृह भवनों के नियंत्रणकर्ता अधिकारी नियम और निर्देशों का पालन करेंगे। उन्हें कहा गया है कि विश्राम गृहों का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जाएगा।
उत्तेजक वक्तव्यों पर रहेगी नजर
आयोग ने कलेक्टरों से कहा है कि निर्वाचन गतिविधियों में संलग्न विभिन्न राजनैतिक दलों व उनके कार्यकर्ताओं द्वारा आम सभा, जुलूस, रैली आदि का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान राजनैतिक दलों, व्यक्तियों द्वारा प्रचार-प्रसार के दौरान एक दूसरे के विरुद्ध उत्तेजक शब्दों का प्रयोग करने की संभावना है, जिससे तनाव पूर्ण स्थिति निर्मित हो सकती है। इसलिए इस पर नजर रखी जाए।