प्रदेश को अंधेरों और गड्डों में धकेलने वालों को न सौंपे – शिवराज स्‍थापना दिवस पर बोले प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान

प्रदेश को अंधेरों और गड्डों में धकेलने वालों को न सौंपे – शिवराज स्‍थापना दिवस पर बोले प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान

भोपाल । एक नवंबर को मप्र का स्‍‍थापना दिवस होता है लेकिन आचारसंहिता के कारण सरकार सामने नहीं आ रही है। अन्‍यथा सांस्‍कृतिक कार्यक्रम होने चाहिए। इस अवसर पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश वासियों को बधाई देते हुए कहा- मेरा यह निवेदन है कि मध्यप्रदेश को ऐसे हाथों में न सौपें जो मध्यप्रदेश की तबाही और बरबादी के जिम्मेदार थे। जिन्होंने मध्यप्रदेश को अंधेरों और गड्ढों का प्रदेश बना दिया था। भ्रष्टाचार और घोटालों का प्रदेश बना दिया था। आज मुझे कहते हुए गर्व है कि समाज के हर एक वर्ग के कल्याण के काम मध्यप्रदेश की धरती पर हुए हैं और आगे भी होते रहेंगे।

उन्‍होंने कहा- दुनिया की सबसे बड़ी योजना मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना ने हमारी गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय बहनों की जिंदगी में एक नया सवेरा लेकर आई है। बहनों की जिंदगी अब आत्मविश्वास से परिपूर्ण है। किसान को किसान सम्मान निधि हो, गरीबों को पक्के मकान हो, नौजवानों को रोजगार हो, बच्चों को सीएम राइज़ स्कूल हो, हर क्षेत्र में बहुत बेहतर काम हो रहे हैं। इन कामों को आगे बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश में फिर भारतीय जनता पार्टी को आशीर्वाद दें। यह निवेदन भी मैं करता हूं।

सीएम शिवराज ने कहा प्रत्येक वर्ष पर हम आनंद और उत्साह के साथ मध्यप्रदेश दिवस मनाते हैं। इस बार आचार संहिता के कारण हम स्थापना दिवस का शासकीय तौर पर आयोजन नहीं कर पा रहे हैं। 3 दिसंबर के बाद फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी और फिर तिथि निश्चित करके हम धूम-धाम से मध्यप्रदेश दिवस मनाएंगे।

सीएम ने यह भी कहा कि 
• 2003 में प्रदेश को भाजपा सरकार ने संभाला था। तब, प्रतिव्यक्ति आय केवल 11 हजार होती थी आज बढ़कर 1 लाख 40 हजार हो गई।
• प्रदेश का कुल बजट 23 हजार करोड़ हुआ करता था, आज बढ़ाकर हमने 3 लाख 14 हजार करोड़ पर ले गए।
• पहले जीएसडीपी का साइज केवल 71 हजार करोड़ था, अब 15 लाख करोड़ के आसपास हो गया।
• प्रदेश की कृषि विकास दर केवल 2-3 प्रतिशत होती थी,अब 18 प्रतिशत से ज्यादा है।
• विकास दर इस समय 16% से ज्यादा है।
• पहले 7 हजार किमी टूटी फूटी सड़कें हुआ करती थी, आज 5 लाख किमी की शानदार सड़कें बनाई हैं।
• पहले सिंचाई केवल साढ़े 7 लाख हेक्टयर में होती थी आज 47 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है, हमारा लक्ष्य 65 लक्ष्य है।

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