रणदीप हुड्डा की जोरदार परफॉरमेंस के बाद भी “वीर सावरकर” हुई फेल, फिल्म की कहानी एकतरफा

रणदीप हुड्डा की जोरदार परफॉरमेंस के बाद भी "वीर सावरकर" हुई फेल, फिल्म की कहानी एकतरफा

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ बॉक्स ऑफिस पर अपना जोर जमाने में असफल हो रही है। बता दें कि रणदीप हुड्डा की ये फिल्म करीब 20 से 25 करोड़ के बजट में बनी है, वहीं हाल ही में एक इंटरव्यू में रणदीप हुड्डा ने कहा था कि इस फिल्म को बनाने के लिए उन्होंने अपना घर भी बेच दिया। उनके फैंस ने फिल्म में उनकी भूमिका कि तारीफ की, क्योंकि इस फिल्म के लिए रणदीप हुड्डा ने जी तोड़ मेहनत की है। दामोदर सावरकर के किरदार में खुद को ढालने के लिए रणदीप ने अपना 26 किलो वजन भी घटाया था लेकिन बावजूद इसके फिल्म फ्लॉप हो गई।

आपको बता दें कि अभिनय के साथ रणदीप हुड्डा ने फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ का निर्देशन, लेखन और निर्माण भी किया है। हुडा ने खुलासा किया कि सावरकर के जीवन के बारे में उनकी जिज्ञासा, उनकी गलत समझी गई छवि और उनके योगदान को प्रकाश में लाने की इच्छा ने उन्हें इस परियोजना को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

इस फिल्म रणदीप हुड्डा के अलावा अंकिता लोखंडे और अमित सियाल भी हैं। 22 मार्च को सिनेमाघरों में इस फिल्म के अलावा मडगांव एक्सप्रेस भी रिलीज हुईं। एक तरफ रणदीप हुड्डा की फिल्म वीर सावरकर है और दूसरी तरफ कुणाल खेमू के डायरेक्शन में बनी मडगांव एक्सप्रेस है।

फिल्म ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ की कहानी प्लेग महामारी से शुरू होती है। सावरकर के पिता प्लेग महामारी से संक्रमित है। अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित प्लेग महामारी से संक्रमित तमाम लोगों को जिंदा जला देते हैं। अंग्रेजी हुकूमत के प्रति सावरकर का बचपन से ही विरोध नाराज आते है। वही बात करें डायरेक्शन की तो ये रणदीप हुड्डा की बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म है, इस फिल्म को पहले महेश मांजरेकर डायरेक्ट करने वाले थे लेकिन आपसी मनमुटाव के चलते रणदीप हुड्डा ने इसे अपने हाथों में लिया।

वैसे फिल्म के कई फ्रेम बहुत कमाल के हैं, यानी सिनेमेटोग्राफी बहुत बढ़िया है लेकिन डायरेक्शन में कमी वहां दिखती है। डायरेक्शन और अभिनय दोनों के बीच रणदीप ने किरदार तो अच्छा निभाया लेकिन डायरेक्शन में कमी रह गई।

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