कांग्रेस को आप से गठबंधन नहीं करना पड़ा भारी

नई दिल्ली। हरियाणा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे। जीत का सहरा बांधने का इंतजार कर रही कांग्रेस बुरी तरह हार गई। वहीं सभी आंकलनों को गलत साबित कर भाजपा ने बहुमत हासिल कर राज्य में हैट्रिक मार दी। राज्य में भाजपा ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं कांग्रेस के खाते में सिर्फ 37 सीटें आईं। उधर, तमाम दावे करके मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी का खाता तक नहीं खुला।
आलम ये रहा कि आम आदमी पार्टी का चुनाव भाजपा के लिए फायदेमंद तो कांग्रेस को भारी पड़ गया। कारण, कई सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा के सामने चंद वोटों से हार गए। वहीं इन सीटों पर आम आदमी पार्टी ने उस मार्जिन से अधिक वोट बंटोरे। यानी आम आदमी पार्टी कांग्रेस के लिए वोट कटवा साबित हुई। हरियाणा चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों को लगभग बराबर वोट शेयर देने के लिए भी याद किया जाएगा। भाजपा ने 39.94 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया, जबकि कांग्रेस  ने 39.34 प्रतिशत  वोट शेयर हासिल किया। आप ने लगभग 1.8 प्रतिशत  वोट शेयर दर्ज किया। आप के साथ गठबंधन करने से इंडिया ब्लॉक के वोट शेयर और हरियाणा में कांग्रेस की संभावनाओं में इजाफा होता या नहीं, यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर पोलस्टर बहस कर सकते हैं। हालांकि, आप ने कई सीटों पर बढ़त देखी है।
आम आदमी पार्टी (आप) ने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए कम से कम आधा दर्जन सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाई। इन सीटों पर कांग्रेस के लिए आप वोट कटवा साबित हुई। आम आदमी पार्टी ने भाजपा की पूर्व सहयोगी जेजेपी से बेहतर प्रदर्शन किया और करीब एक दर्जन सीटों पर 5000 का आंकड़ा पार किया।डबवाली में इनेलो के आदित्य देवीलाल ने कांग्रेस के अमित सिहाग को 610 के मामूली अंतर से हराया। आप को 6600 से अधिक वोट मिले। इसी तरह असंध में कांग्रेस भाजपा के हाथों 2306 वोटों से हारी। इस निर्वाचन क्षेत्र में आप के अमनदीप सिंह जुंडला को 4290 वोट मिले। उचाना कलां में रोमांचक मुकाबला देखने को मिला। और अंतिम वोटों की गिनती तक परिणाम स्पष्ट नहीं हु्आ। भाजपा ने कांग्रेस के राव बृजेंद्र सिंह से यह विधानसभा क्षेत्र मात्र 32 वोटों से छीन लिया। उल्लेखनीय है कि यहां आप के पवन फौजी को करीब 2500 वोट मिले। रानिया में इनेलो के अर्जुन चौटाला ने कांग्रेस को 4191 वोटों से हराया। इस सीट पर आप के हरपिंदर सिंह को करीब 4700 वोट मिले। दादरी में, जहां कांग्रेस को काफी उम्मीदें थीं, आप को करीब 1300 वोट मिले। कांग्रेस इस सीट पर 1957 वोटों से हारी है।
हरियाणा चुनाव प्रचार के पहले दिन से ही आप के वरिष्ठ नेतृत्व को इस बात का भरोसा था। कांग्रेस के साथ गठबंधन की बातचीत विफल होने के बाद आम आदमी पार्टी ने संगठनात्मक विस्तार के स्पष्ट जनादेश के साथ विधानसभा चुनावों में प्रवेश किया, भले ही इसकी कीमत किसी को भी चुकानी पड़े। चुनाव से पहले गठबंधन की बातचीत विफल होने पर आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया था कि गठबंधन न करने का कांग्रेस का अहंकार उनके लिए खेल बिगाड़ सकता है। आप कम सीटों पर भी समझौता करने को तैयार थी। लेकिन सभी मोर्चों (अधिमान्य सीटों) पर समझौता नहीं कर सकते। हम राज्य में अपने कैडर और कार्यकर्ता आधार को क्या समझाएंगे। आप नेतृत्व दावा करता रहा कि उनके उम्मीदवार कम से कम एक दर्जन सीटों पर 5000 का आंकड़ा पार कर सकते हैं। एक छोटे विधानसभा वाले राज्य में एक नए उम्मीदवार के लिए यह संख्या अच्छी मानी जाती है। उस समय प्रचार के प्रभारी जगाधरी, भिवानी, महम, नारनौल जैसी सीटों का जिक्र करते थे और कहते थे कि इन जगहों पर पार्टी तुलनात्मक रूप से बेहतर संख्या दर्ज करेगी।

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