रतलाम: आदिवासियों की बात सुनने जमीन पर बैठे कलेक्टर; समाज के नेताओं पर जिला बदर की कार्रवाई से थी नाराजगी
रतलाम: आदिवासियों की बात सुनने जमीन पर बैठे कलेक्टर; समाज के नेताओं पर जिला बदर की कार्रवाई से थी नाराजगी
भोपाल। रतलाम से एक चौंकाने वाला वाकया सामने आया है। खबर है कि रतलाम कलेक्टर ने जमीन पर बैठकर आदिवासियों की समस्यायें सुनी हैं। यह वाकया इतना प्रभावशाली रहा कि कलेक्ट्रेट के सामने नारेबाजी कर रहे आदिवासी तुरंत सामान्य हो गये और उन्होंने अपना धरना समाप्त कर दिया ।
बताया जा रहा है कि रतलाम में दो लोगों पर जिला बदर की कार्रवाई के खिलाफ आदिवासी समाज के लोगों ने सोमवार को कलेक्टर दफ्तर का घेराव किया। सैलाना से आए लोगों ने यहां जमीन पर बैठकर धरना दिया और शासन के खिलाफ नारेबाजी की। हंगामा बढ़ता देखकर कलेक्टर अपने दफ्तर से बाहर आए और प्रदर्शनकारियों के बीच ही जमीन पर बैठ गए। उन्होंने कोर्ट में अपील करने की समझाइश दी। जिसके बाद प्रदर्शन खत्म किया गया ।
मिली जानकारी के अनुसार प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के समय समाज के दो लोगों को तत्कालीन कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने गलत तरीके से जिला बदर कर दिया था। दोनों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। हम यहां ज्ञापन देने नहीं आए हैं। यहां ग्राम सभा कर निर्णय लेंगे कि आगे क्या करना है।
गौर करने वाली बात यह है कि आदिवासी समाज के लोग ‘न लोकसभा और न विधानसभा, सबसे बड़ी ग्राम सभा’ के बैनर के साथ रतलाम आए थे। मेरा बेटा समाज की बात करता है, इसमें कौन सी गलती है। यह बात बतायी जाये। यह कहना है प्रदर्शन के दौरान आयी एक महिला का। उसने साफतौर पर कहा कि मेरे बेटे के साथ नाइंसाफी की जा रही है।
यह हुआ वाकया – नारेबाजी के बीच कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार दफ्तर से बाहर आए। जमीन पर बैठकर बात सुनी। लोगों को समझाते हुए कहा, ‘आप कोर्ट में अपील कर सकते हैं।’ कलेक्टर ने जय जोहार बुलवाकर धरना समाप्त करवाया।प्रदर्शन खत्म होने के बाद कलेक्टर लाक्षाकार ने कहा, ‘पूर्व में जो जिला बदर की कार्रवाइयां हुई हैं, उनके संबंध में लोग अपनी बात कहने आए थे। उन्हें समझाया है कि न्यायालय प्रक्रिया में अगर वे किसी आदेश से व्यथित हैं तो उसके लिए हाई कोर्ट ही सही रास्ता है।’