जनजातीय संस्कृति आधारित हो सी.एम. राइज विद्यालयों का लैंडस्केप
अपर मुख्य सचिव श्री एस.एन. मिश्रा ने कहा कि स्थानीय सी.एम. राइज विद्यालयों की लैंडस्केप प्लानिंग जनजातीय संस्कृति को ध्यान में रखकर की जाए ताकि राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बने। विद्यालय की लैंडस्केपिंग का विद्यार्थियों की पढ़ाई पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ना चाहिए। वहां की क्षेत्रीय विशेषताओं, कला और भौगोलिक परिवेश आधारित ऐसी लैंडस्केपिंग की जानी चाहिए जिसका रख-रखाव भी आसान हो। वे आज यहां जनजातीय कार्य विभाग द्वारा विभागीय सी.एम. राइज विद्यालयों के लैंडस्केप प्लानिंग विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
कार्यशाला में निर्माण एजेंसी, पी.आई.यू, पुलिस हाउसिंग, बी.डी.सी., एप्को, मैनिट, एस.पी.ए. के प्रतिनिधियों के अलावा विभागीय अधिकारी, इंजीनियर्स और प्राचार्य तथा प्रदेश के विभिन्न जिलों के 89 विकासखंडों में बनने वाले जनजातीय सी.एम. राइज विद्यालयों के आर्किटेक्ट शामिल हुए।
‘प्रत्येक सी.एम. राइज विद्यालय का लैंडस्केप डिजाइन अनूठा हो’
जनजातीय कार्य विभाग के अपर आयुक्त डॉ. सत्येन्द्र सिंह ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक विद्यालय का लैंडस्केप डिजाइन अनूठा होना चाहिए। विद्यालय के परिवेश व वातावरण के साथ उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं व सुविधाओं को ध्यान में रखकर डिजाइन करने की जरूरत है।
‘लैंडस्केप फर्स्ट इंप्रेशन होता है इसलिए प्लानिंग जरूरी’
कार्यशाला के पहले सत्र को मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) की चीफ लैंडस्केपिंग आर्किटेक्ट प्रो. सविता राजे ने संबोधित किया। उन्होंने लैंडस्केप डिजाइन के मूल सिद्धांतों, आवश्यकताओं और तकनीक और गाइडलाइन के बारे में जानकारी दीं। उन्होंने कहा कि किसी भी भवन या कैंपस का लैंडस्केप डिजाइन ही उसका फर्स्ट इंप्रेशन होता है इसलिए इसकी प्लानिंग का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आकर्षक व सृजनात्मक लैंडस्पेक डिजाइन विद्यार्थियों व शिक्षक की सृजनात्मकता बढ़ाने का कार्य करता है। वहां का लैंडस्केप ऐसा होना चाहिए कि विद्यार्थी को कक्षा से बाहर आने पर उत्साह की अनुभूति हो। विद्यालय के पर्यावरण और जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण हितैषी लैंडस्केप डिजाइन किया जाना चाहिए।