चंद्रयान-3 का लैंडर, रोवर हमेशा के लिए स्लीप मोड में
चंद्रयान-3 का लैंडर, रोवर हमेशा के लिए स्लीप मोड में

नई दिल्ली। भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाने वाला अपनी तरह का पहला मिशन फिर से शुरू नहीं हुआ। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चंद्र दिवस के दौरान नहीं जागे, जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है। चंद्रयान-3 को एक चंद्र दिवस या 14 पृथ्वी दिवस तक जीवित रहने के लिए डिज़ाइन किया गया था। चंद्रयान-3 गत 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा।
चंद्रमा पर चंद्रयान-3 का क्या हुआ?
30 सितंबर को चंद्रमा की सतह से सूर्य का प्रकाश कम होना शुरू हुआ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि नई सुबह होने पर वे चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को पुनर्जीवित करने में सक्षम होंगे। प्रज्ञान रोवर को 2 सितंबर को और लैंडर को 4 सितंबर को निष्क्रिय कर दिया गया था। इसरो ने कहा था, रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया। इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क किया गया है और स्लीप मोड में सेट किया गया है। APXS और LIBS पेलोड बंद हैं। वर्तमान में बैटरी पूरी तरह चार्ज है। सौर पैनल 22 सितंबर 2023 को अपेक्षित अगले सूर्योदय पर प्रकाश प्राप्त करने के लिए उन्मुख है। रिसीवर चालू रखा गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रज्ञान की बैटरियां पूरी तरह चार्ज हो गईं और रिसीवर चालू रहा। सौर पैनलों को इस प्रकार उन्मुख किया गया था, ताकि जब चंद्रमा पर सुबह हो तो उन्हें सूर्य का प्रकाश प्राप्त हो सके। हालांकि, कई कोशिशों के बावजूद रोवर और लैंडर नहीं उठे। चंद्रयान-3 से कोई सिग्नल नहीं मिला। 20 सितंबर को चंद्रमा पर फिर से सूरज उग आया।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा था कि अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर और रोवर के जागने के लिए आखिरी पृथ्वी दिवस तक इंतजार करेगी। यह चंद्रमा की सतह पर कुछ प्रयोगों को दोहराने का अवसर होगा। लेकिन विक्रम और प्रज्ञान जवाब देने में असफल रहे। रोवर को 2 सितंबर को और लैंडर को 4 सितंबर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था। प्रज्ञान की बैटरियां पूरी तरह चार्ज हो गईं और रिसीवर चालू रहा। सौर पैनलों को इस प्रकार उन्मुख किया गया था ताकि जब चंद्रमा पर सुबह हो तो उन्हें सूर्य का प्रकाश प्राप्त हो सके।
माना जा रहा है कि चंद्रमा के अत्यधिक तापमान से प्रज्ञान रोवर की बैटरियां प्रभावित हुईं। पहले के आंकड़ों के अनुसार, चंद्रमा का ध्रुव शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस से शून्य से 253 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। इसके अलावा चंद्रमा पर पूर्ण अंधकार था, जिसके कारण चंद्रयान -3 के सौर पैनल भी बेकार हो गए। स्पेस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, रोवर और लैंडर हीटर से लेस नहीं हैं जो आमतौर पर चंद्रमा मिशन के लिए उपयोग किए जाते हैं।