चंद्रयान-3: फिर जागेंगे विक्रम, प्रज्ञान? बड़ा अपडेट
चंद्रयान-3: फिर जागेंगे विक्रम, प्रज्ञान? बड़ा अपडेट
नई दिल्ली। मूल रूप से चंद्रयान लैंडर रोवर को केवल 14 दिनों के ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन किया गया था। उम्मीद है कि तापमान -140 डिग्री सेल्सियस या उससे भी नीचे चला जाएगा, दक्षिणी ध्रुव में यह -200 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। इस तापमान पर कोई भी प्लास्टिक सामग्री कोई कार्बन ऊर्जा सामग्री या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक्स जीवित नहीं रह सकता है। वे टूट जाएंगे, लेकिन मुझे उम्मीद है कि इसरो ने काफी थर्मल प्रबंधन कार्य किया होगा।
मिश्रा ने एएनआई को बताया कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को विद्युत घटकों की सुरक्षा के लिए स्लीप मोड में डाल दिया गया था, क्योंकि चंद्र रात की स्थिति में तापमान -250 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है जो दो सप्ताह तक रहता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, केवल 50% संभावना है कि उपकरण ठंडे तापमान को सहन कर सकें। इसरो के पूर्व प्रमुख एएस किरण कुमार ने 25 सितंबर को बीबीसी को बताया कि रोवर और लैंडर के जागने की संभावना हर गुजरते घंटे के साथ कम होती जा रही है। इसरो टीम ने कहा कि वह 30 सितंबर तक अंतरिक्ष यान के साथ संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी रखेगी, जिस दिन अगला चंद्र सूर्यास्त निर्धारित है।