चंबल जल बंटवारा – मप्र और राजस्‍थान राज्‍यों की बैठक से सुलझेगा जल बंटवारा

चंबल जल बंटवारा - मप्र और राजस्‍थान राज्‍यों की बैठक से सुलझेगा जल बंटवारा

भोपाल। जल बंटवारे की सियासत पुरानी है लेकिन जारी है। गौर करने वाली बात यह है कि चुनावी साल में मध्य प्रदेश ने चंबल जल बंटवारे पर सख्ती दिखाते हुए राजस्थान से अपने हिस्से के पूरे 3900 क्यूसेक पानी की मांग रख दी है। मानसून के बाद चंबल घाटी की उपलब्धता और वाटर शेयरिंग पर दोनों राज्यों के जल संसाधन विभागों के अफसरों की बैठक हुई। वर्चुअल मोड में हुई बैठक में दोनों राज्यों ने चंबल पर अपनी-अपनी सीमा में मौजूद बांधों और जलभराव के आंकड़े साझा किए।

मप्र जल संसाधन विभाग के इंजीनियरिंग इन चीफ शिशिर कुशवाह के मुताबिक, मप्र ने राजस्थान के सामने इस बार पूरा 50% पानी मांगा है, ताकि ग्वालियर-चंबल रीजन में टेल एंड तक किसानों को पानी मुहैया कराया जा सके। इस साल सामान्य से कम बारिश के कारण ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के ज्यादातर बांध रीते हैं। चंबल पर मप्र की सीमा में सबसे बड़ा बांध मंदसौर का गांधीसागर 99.1% भरा है। चंबल जल बंटवारे के तहत चंबल के पानी पर मप्र-राजस्थान की 50-50% भागीदारी का समझौता है।

हर साल 1200 क्यूसेक पानी रोकता है राजस्थान
राजस्थान हर साल मप्र के हिस्से का 1100 से 1200 क्यूसेक पानी रोक लेता वहीं, राजस्थान के अफसर दावा करते रहे हैं कि वे मप्र को 3300 क्यूसेक पानी भेजते हैं। 700 क्यूसेक पुरानी नहरों की मरम्मत न होने से लीकेज और सीपेज के कारण लॉस हो जाता है।

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