भाजपा को जीत के लिए शाह के मंत्र का सहारा, शाह की चुनावी रणनीतिकार अभी तक रही है सफल
भाजपा को जीत के लिए शाह के मंत्र का सहारा, शाह की चुनावी रणनीतिकार अभी तक रही है सफल
भोपाल। चुनाव में जीत की दावेदारी तो सभी कर रहे हैं लेकिन भाजपा के अमित शाह की रणनीति का कोई जवाब नहीं है। उन्होंने यूपी में योगी सरकार को सत्ता में एक बार फिर लाने के लिए जो रणनीति बनाई उसमें वो सफल रहे। अब बारी मप्र की है। यही कारण है कि शाह ने बीते दिनों ग्वालियर में कार्यकर्ताओं को जीत के मंत्र दिए और उसी को ध्यान में रख्ने की सलाह भी दी । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जो खास मंत्र दिए उनमें से एक मंत्र है- सपा-बसपा के प्रत्याशियों की मदद करना। वास्तव में राजनीतिक सूत्रों की मानें तो शाह ने 31 अक्टूबर को ग्वालियर में कहा था- कि जितना संभव हो सके कांग्रेस को छोड़कर अन्य पार्टियों जैसे सपा-बसपा की जमकर मदद करो, क्योंकि उनके प्रत्याशी वोट काटेंगे, जिससे हमें फायदा मिलेगा और कांग्रेस को नुकसान।शाह के इस बयान को एक सप्ताह बीत चुका है।देखना यह है कि शाह के मंत्रभाजपा कार्यकर्ताओं को कहां तक प्रेरित करते हैं और जो मत इध्र उध्र हो रहे थे उन्हें पार्टी तक कैसे ले आते हैं। ऐसा करने के लिए भाजपा को दिन रात मेहनत करना होगा।
दिख रहा है साफ तौर पर प्रभाव –
मप्र के चुनाव में अमित शाह की दी हुई सलाह का असर साफ तौर पर दिखने लगा है। बीजेपी नेताओं ने इन दोनों दलों के प्रत्याशियों के खिलाफ बयानबाजी लगभग बंद कर दी है। खासकर उन सीटों पर, जहां बीजेपी का कब्जा है।उन्हें इस बात की फिक्र है कि हमें दिसंबर में हर हाल में सरकार का गठन करना है। इसलिए एक रणनीति के आधार पर आगे बढना होगा।
शाह के फार्मूले से बदलेगा समीकरण – मप्र में 11 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस के बागी सपा और बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें 8 पर बीजेपी काबिज है, जबकि 3 पर कांग्रेस। जानकार कहते हैं कि यदि अमित शाह का फॉर्मूला सफल हुआ तो इन सीटों पर जीत-हार के समीकरण बदल सकते हैं। क्योंकि बसपा और सपा के प्रत्याशी कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाएंगे। फायदा बीजेपी को होगा।