भाजपा के बागी – केदार ने ठोकी ताल निर्दलीय लडेंगे चुनाव
भाजपा के बागी – केदार ने ठोकी ताल निर्दलीय लडेंगे चुनाव

कमोवेश यही स्थिति लगभग सभी 79 सीटों पर दिख रहा है
भोपाल। अब तीन सूची जारी करके भाजपा हाईकमान ने एक ओर जहां उम्मीदवारों को तैयारी का पर्याप्त मौका दिया है वहीं दूसरी ओर पार्टी के भीतर खाने में विरोध के स्वर मुखर होने का पूरा मौका भी दे दिया है। इसका खामियाजा कहीं ना कहीं चुनावों में दिख् सकता है। बता दें कि विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अब तक जिन 79 सीट पर उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें से कुछ सीट पर प्रत्याशियों के खिलाफ जमकर विरोध सामने आ गया है जिससे पार्टी उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उदाहरण के लिए यदि बात करें तो सीधी से टिकट नहीं मिलने पर वर्तमान विधायक केदारनाथ शुक्ला ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इसी प्रकार मुलताई के प्रत्याशी को पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता कमीशनखोर बताकर टिकट बदलने की मांग कर रहे हैं।कमोवेश यही हालत सतना जिले की चित्रकूट सीट की है जहां से भाजपा के युवा नेता सुभाष् शर्मा डोली बीते दस वर्षों से तैयारीकर रहे थे लेकिन आखिर में टिकिट सुरेंद्र सिंह को मिला । श्री सिंह दो बार हार का सामना कर चुके हैं बावजूद इसके पार्टी की ऐसी क्या मजबूरी है कि उनको टिकिट दे दी है। भाजपा के इस फैसले से स्थानीय लोग भी नाराज हैं। लोंगोका कहना है कि डोली में ऐसी क्या मजबूरी थी कि नहीं दिया गया। हालांकि भाजपा युवाओं की बात करती है और जब मौका आता है तब युवाओं को समझााने का काम किया जाता है। लोग सवाल भी खडा करतेहैं कि आखिर ऐसी कौन सी राजनीति है जिसमें इस प्रकार से सोचा जाता है। क्या सचमुचमप्र ट्रायल की जगह है क्या।
कांग्रेस भी कम नहीं है-
कमोवेश यही हालत कांग्रेस की भी है। तैयारी को देख्ते हुए कांग्रेस को जहां पहले ही टिकिट जारी करना था आज तक नहीं किया। अब कह रहे है कि जो भाजपा से नाराज उम्मीदवार हैं उनको मौका दिया जायेगा। पन्ना जिले में भी कांग्रेस के उम्मीदवारों में काफी उलटफेर नजर आ रहा है। जो जमीनी कार्यकर्ता हैं उसको नजर अंदाज किया जा रहा है और जिन लोगों ने सत्ता के सुख् को भोगा है उसको मौका दिये जाने की तैयारी है।लोगों में एक ही सवाल खडा हो रहा है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी है। मुकेशनायक की उमर ढल गई , वे राजनेता हैं या कथाकार तय नहीं लेकिन कांग्रेस उनको आगे बढाने में लगी है।गौर से देखा जाये तो यहां भी यूथ यहां भी छूट रहा है। आखिर पन्ना का मतदाता केवल मजबूरी में वोट करने के लिए है या विकासवादी , सहयोगी , सब समय साथ खडे रहने वालों काे मौका मिलना चाहिए।बता दे कि प्रदेश में बहुत सारी सीटें ऐसी ही हैं। सिंगरौली भी ऐसी ही दिख् रही है।भाजपा के जिन कार्यकर्ताओं ने अपने अथक परिश्रम से पार्टी को खडा किया आज वो टिकिट के लिए तरस रहे हैं।
नाराज लोगों ने छोड दी पार्टी –
गुनौर के पूर्व भाजपा विधायक महेंद्र बागरी, चांचौड़ा की पूर्व विधायक ममता मीणा टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से इस्तीफा दे चुकी हैं। भाजपा अब तक तीन सूची जारी कर 79 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। इनमें सीधी, नरसिंहपुर, मैहर को छोड़ दें तो बाकी सभी सीट भाजपा 2018 के विधानसभा चुनाव में हार गई थी।