राज्यसभा में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा बिल पेश

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का आज (12 दिसंबर) सातवां दिन है। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों से नियुक्ति से जुड़ा बिल राज्यसभा में पेश कर दिया गया है। कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने यह बिल पेश किया है। यह बिल चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कामकाज का संचालन) अधिनियम, 1991 की जगह आया है।

इससे पहले, बिल इस साल 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश किया गया था। तब यह सामने आया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और कैबिनेट मंत्री वाला पैनल करेगा। पैनल में चीफ जस्टिस की जगह कैबिनेट मंत्री को लाने पर जमकर विवाद हुआ था। हालांकि विपक्ष, पूर्व चुनाव आयुक्तों के विरोध को देखते हुए सरकार इस बिल में बदलाव कर सकती है। फिलहाल, इस पर बहस जारी है।

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में आदेश दिया था कि इनकी नियुक्ति करने वाले पैनल में प्रधानमंत्री, विपक्ष का नेता और चीफ जस्टिस होना चाहिए। अगर लोकसभा में विपक्ष का नेता ना हो तो सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसा सिस्टम होना चाहिए, ताकि पारदर्शिता रहे।

मंगलवार को संसद में जाने से पहले राहुल गांधी ने अमित शाह के नेहरू को लेकर दिए बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा- नेहरू जी ने इस देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे सालों तक जेल में थे। अमित शाह जी इतिहास नहीं जानते। मुझे उम्मीद नहीं है कि उन्हें इतिहास पता होगा क्योंकि वह इतिहास को फिर से लिखते रहते हैं। राहुल ने कहा- यह सब ध्यान भटकाने वाली बात है, मूल मुद्दा जाति जनगणना और भागीदारी का है। देश का पैसा किसके हाथ में जा रहा है। वे इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करना चाहती है। वो डरती है। और इससे भागती है।

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