बिहार सीट बटवारे पर छिड़ा संग्राम, महागठबंधन सीट शेयरिंग फॉर्मूले ने बड़ाई दिक्कतें

बिहार सीट बटवारे पर छिड़ा संग्राम, महागठबंधन सीट शेयरिंग फॉर्मूले ने बड़ाई दिक्कतें

लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया पार्टी ने अधिकांश राज्यों में सीट-बंटवारे के समझौते को लगभग अंतिम रूप दे दिया है, लेकिन बिहार में जो पहले दोनों पार्टियों के लिए एक तय डील लगती थी, वह अब बहुत बड़ी चुनौती हैं। बिहार में बीजेपी पशुपति पारस को अपने साथ लाने के लिए संघर्ष कर रही है, तो वहीं कांग्रेस-आरजेडी को सीपीआई-एमएल को अपने गुट में बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।

अब ख़बर विस्तार से- बिहार में महागठबंधन दलों में से एक सीपीआई-एमएल ने अपने बयान में सीट बंटवारे में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की है और जल्द से जल्द सीट आवंटन की घोषणा करने का आग्रह किया है, आपको बता दें कि बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से कथित तौर पर आरजेडी 28 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, कांग्रेस 9 सीटों पर सीपीआईएमएल के लिए दो सीटें और सीपीआई के लिए एक सीट छोड़ना चाहती है। हालांकि, सीपीआई-एमएल ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की, जिससे महागठबंधन के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई।

वहीं बात करें एनडीए की, जिसने बिहार में 2019 के लोकसभा चुनावों में सभी 40 सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन अब कथित तौर पर एलजेपी में विभाजन के कारण सीट-बंटवारे के समझौते तक पहुंचने में कठिनायों का सामना करना पड़ रहा हैं। सीट-बंटवारे की चर्चा के अनुसार, भाजपा 17 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जिसमें से 15 सीटें जेडीयू को, 4 सीटें चिराग पासवान की एलजेपी-रामविलास को और एक-एक सीट पशुपति पारस के नेतृत्व वाली आरएलजेपी, जीतन राम मांझी की हम और उपेन्द्र कुशवाह की आरएलएम को दी जाएगी। हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुशवाह और पशुपति पारस एक सीट के ऑफर से नाखुश हैं।

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