चुनाव से पहले घोषणाएं खजाने पर पडेगी भारी

चुनाव से पहले घोषणाएं खजाने पर पडेगी भारी

आर्थिक पक्ष्‍ को जानकर भी की जा रही घोषणाएं बन सकती हैं मुसीबत
भोपाल। पुरानी कहावत है कि आमदनी अठन्‍नी और र्ख्‍चा रूपयया । यह कहावत मप्र में लगभग ऐसा ही अर्थ पैदा कर रही है। आने वाले समय में आर्थिक बोझ बढ जायेगा और खुद सरकार के लिए ही समस्‍या बन जायेगा। इन दिनों मध्यप्रदेश में चुनावी साल में हो रही घोषणाएं सरकार के खजाने पर भारी पड़ती दिख रही हैं। मौजूदा बजट के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ रुपए है और खर्च इससे 54 हजार करोड़ ज्यादा। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 23 हजार करोड़ की नई घोषणाएं कर चुके हैं। अकेले लाड़ली बहना योजना पर ही सालाना 19 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है ।इस प्रकारकी यह अकेली योजना नहीं है बल्कि और भी योजनाएं हैं।
आर्थिक जानकारों का मानना है कि ऐसे में इन सबके लिए पैसा कहां से आएगा, जबकि सरकार पर कर्ज, बजट से ज्यादा हो गया है? जानकारों का मानना है कि ऐसे में सरकार के पास दो ही विकल्प है या तो टैक्स बढ़ाकर आमदनी बढ़ाए या विकास योजनाओं के बजट में कटौती करें।
आने वाली सरकार के लिए होगी समस्‍या –
दिसंबर में सरकार चाहे जिसकी बने पर एक बात यह तय है कि योजनाओं में खर्च होने वाली राशि चिंता का कारण जरूर बनेंगी। ऐसा नहीं है कि सिर्फ सरकार की तरफ से फ्रीबीज योजना लागू की गई है। कांग्रेस ने भी सत्ता में आने के बाद नारी सम्मान योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने का वादा किया है, जबकि बीजेपी और कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र आना अभी बाकी है।

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