उत्तरकाशी टनल से सभी 41 मजदूर निकाले गए

१७ दिन चले बचाव कार्य के बाद मिली सफलता
नई दिल्ली। उत्तराखंड की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में 12 नवंबर से फंसे सभी 41 मजदूरों का बाहर निकल लिया गया है। पहला मजदूर शाम 7.50 बजे बाहर निकाला गया था। 45 मिनट बाद रात 8.35 बजे सभी को बाहर निकाल लिया गया। सभी को एम्बुलेंस से अस्पताल भेजा गया।
मजदूर 423 घंटे तक टनल में फंसे रहे। रेस्क्यू टीम के सदस्य हरपाल सिंह ने बताया कि शाम 7 बजकर 5 मिनट पर पहला ब्रेक थ्रू मिला था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाहर निकाले गए श्रमिकों से बात की। उनके साथ केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी थे।
मजदूरों ने बाहर निकलकर राहत के सांस ली। उनके चेहरे पर दूसरी जिंदगी मिलने की खुशी साफ देखी जा रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने उनकी अगवानी की।
सब मजदूर स्वस्थ्य
रेट स्नेपर्स वाली कंपनी नवयुग के मैन्युअल ड्रिलर नसीम ने कहा- सभी मजदूर स्वस्थ्य हैं। मैंने उनके साथ सेल्फी ली। उन्होंने बताया कि जब आखिरी पत्थर हटाया गया तो सभी मजदूरों ने जयकारे लगाए।
ऐसे निकाले गए मजदूर
\नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैय्यद अता हसैनन ने बताया था- खुदाई का काम पूरा होने के बाद टनल में पाइप तक रैंप बनाया गया। रैंप से मजदूरों को पाइप तक पहुंचाया गया। पाइप में पहुंचने पर मजदूरों को स्ट्रेचर पर लिटाया और रस्सी के सहारे खींचकर उन्हें बाहर निकाला गया।
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (हृष्ठरू्र) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैय्यद अता हसैनन ने बताया था- खुदाई का काम पूरा होने के बाद टनल में पाइप तक रैंप बनाया गया। रैंप से मजदूरों को पाइप तक पहुंचाया गया। पाइप में पहुंचने पर मजदूरों को स्ट्रेचर पर लिटाया और रस्सी के सहारे खींचकर उन्हें बाहर निकाला गया।
टनल से अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर
रेस्क्यू के बाद मजदूरों को 30-35 ्यरू दूर चिन्यालीसौड़ ले जाया गया। वहां 41 बेड का स्पेशल हॉस्पिटल बनाया गया है। टनल से चिन्यालीसोड तक की सड़क को ग्रीन कॉरिडोर घोषित किया गया था, जिससे रेस्क्यू के बाद मजदूरों को लेकर एम्बुलेंस जब अस्पताल जाए तो ट्रैफिक में न फंसे। यह करीब 30 से 35 किलोमीटर की दूरी है। इसको करीब 40 मिनट में तय किया गया।